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इरबिल (इराक): इराक में आईएसआईएस के आतंकियों के चंगुल से मुक्त कराई गई स्वीडिश किशोरी ने कहा है कि इस वहां जिंदगी वाकई बेहद मुश्किल थी और वह अपने बॉयफ्रेंड के हाथों 'छले जाने' के बाद वहां जाने को मजबूर हुई थी। विशेष कुर्दिश सैन्य बलों की ओर से छुड़ाए जाने के बाद 16 साल की इस किशोरी ने अपने पहले इंटरव्यू में बताया कि वह स्‍वीडन में वर्ष 2014 के मध्‍य में स्‍कूल छोड़ने के बाद इस बॉयफ्रेंड से मिली थी। किशोरी के अनुसार, 'पहले तो सब कुछ ठीक था लेकिन इसके बाद बॉयफ्रेंड ने आईएसआईएस के वीडियो में रुचि लेना शुरू कर दिया और मुझे इसके बारे में बताने लगा। बॉयफ्रेंड में मुझसे कहा कि वह आईएसआईएस में जाना चाहता है। मैंने कहा, ठीक है कोई दिक्कत नहीं। दरअसल उस समय मैं नहीं जानती थी कि आईएसआईएस के मायने क्या हैं...।' दोनों मई 2015 में स्वीडन से निकले और बाद में बस और ट्रेन से होते हुए तुर्की और सीरिया पहुंचे।

यहां से आईएसआईएस आतंकी उन्हें दूसरे पुरुषों-महिलाओं के साथ बस से मोसुल शहर ले गए। किशोरी ने बताया, 'हमें ऐसे घर में ठिकाना दिया गया जहां न तो बिजली थी और न ही पानी। मेरे पास पैसे भी नहीं थे। वाकई यह बेहद कठिन जिंदगी थी।' उसने बताया, 'इसके बाद मैंने फोन पर अपनी मां से संपर्क किया और कहा,'मैं घर आना चाहती हूं।' 17 फरवरी को आतंकियों के चंगुल से छुड़ाई गई यह किशोरी इस समय इराक के कुर्दिस्तान क्षेत्र में है और इसे स्वीडिश प्रशासन को सौंप दिया जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि जून 2014 में इराक और सीरिया के बड़े क्षेत्र में प्रभाव जमाने के बाद से सैकड़ों पुरुष और महिलाएं आईएसआईएस से जुड़ने के लिए अपना घर छोड़ चुके हैं।

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