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वाशिंगटन: 2008 के मुम्बई आतंकवादी हमले के कुछ ही समय बाद पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के तत्कालीन प्रमुख ने स्वीकार किया था कि आईएसआई के कुछ सेवानिवृत्त सदस्य इस जघन्य अपराध में शामिल हमलावरों को प्रशिक्षित करने में लिप्त थे लेकिन उन्होंने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। अमेरिकी एजेंसी सीआईए के पूर्व निदेशक माइकल हेडेन ने अपनी नवीनतम पुस्तक ‘प्लेइंग टू द एज’ में पाकिस्तानी नेतृत्व के प्रति गहरी निराशा व्यक्त करते हुए लिखा है कि जब सवाल आतंकवादी समूहों विशेष तौर पर अलकायदा, तालिबान, लश्करे तैयबा और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने का आता है उसका ‘दोहरापन’ सामने आ जाता है। उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तान का शीर्ष नेतृत्व विशेष तौर पर पाकिस्तानी सेना गत एक दशक के दौरान यह दलील देते रहे कि पाकिस्तानी सेना भारत के खिलाफ लड़ने के लिए स्थापित की गई है आतंकवादियों के खिलाफ नहीं।

पाकिस्तानी नेतृत्व ने अमेरिका की चाहत के अनुरूप कबायली क्षेत्रों में आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने से बार-बार अपनी असमर्थता जतायी है। 2009 तक सीआईए के प्रमुख रहे हेडेन ने मुम्बई आतंकवादी हमले का उल्लेख करते हुए कहा, ‘मैंने अपने पाकिस्तानी समकक्ष अब अहमद शुजा पाशा (पाकिस्तानी सेना के सैन्य अभियानों के पूर्व महानिदेशक) को समय-समय पर फोन करके टोकना शुरू किया। मैंने उनसे आग्रह किया कि हमले की तह तक जाएं और हमसे उस बारे में स्पष्ट चर्चा करें।’ हेडेन ने कहा, ‘हमें इस बारे में कोई संदेह नहीं था कि यह काम लश्करे तैयबा का था और इस बात के पर्याप्त सबूत थे कि इसकी तैयारी और हमले का निर्देश पाकिस्तान के भीतर से आया जहां लश्करे तैयबा को आईएसआई का संरक्षण एवं समर्थन हासिल है।’ पाशा कुछ ही सप्ताह पहले आईएसआई में आये थे और उनके पास उससे पहले गुप्तचर का कोई अनुभव नहीं था। वह क्रिसमस के दिन अमेरिका आये और अगली दोपहर उनके कार्यालय में बितायी।’ उन्होंने पुस्तक में लिखा है, ‘उन्होंने जानकारियों पर सावधानीपूर्वक काम किया। उनकी जांच में इसका खुलासा हुआ कि आईएसआई के कुछ पूर्व सदस्य लश्करे तैयबा के साथ लिप्त थे। पाशा ने स्वीकार किया कि ये अनिर्दिष्ट सेवानिवृत्त व्यक्ति हमलावरों के कुछ व्यापक प्रशिक्षण में शामिल थे। यद्यपि वह हमलावरों को मिले उस निर्देश के बारे में अस्पष्ट थे जो हमले के समय उन्हें फोन से पाकिस्तान से मिले।’

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