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लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के केन्द्र सरकार के कदम को तानाशाही और अहंकार से भरा बताते हुए शुक्रवार को कहा कि देश के करोड़ों गरीबों और मेहनतकशों को इससे पीड़ा हो रही है और जब सरकार इस पीडा को समझ ना पाये तो उसके बुरे दिन दूर नहीं। मायावती ने एक बयान में कहा, ‘भाजपा के इस तानाशाही और अहंकारी व्यवहार की सजा जनता उसे जरूर देगी। ये आर्थिक आपातकाल लगाने वाला फैसला है। इससे देश के करोडों गरीबों और मेहनतकशों को पीडा हो रही है। उनकी पीड़ा को अपना समझकर बसपा ने केन्द्र के फैसले पर कल कडी प्रतिक्रिया दी थी।’ उन्होंने कहा, ‘जब देश की शासक पार्टी देशवासियों और आम नागरिकों की पीड़ा नहीं समझ पाये तो ऐसी सरकार के बुरे दिन दूर नहीं हैं। यह जनता में आम चर्चा भी है।’ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस फैसले को बसपा के लिए आर्थिक आपातकाल करार दिया था, जिस पर मायावती ने कहा कि शाह को शायद मालूम नहीं है कि जमीन से जुड़े बसपा के छोटे बड़े कार्यकर्ताओं ने कठिन से कठिन समय में भी अपनी पार्टी को आर्थिक तकलीफ नहीं होने दी है और वे पूरे तन, मन, धन से बसपा मूवमेंट (आंदोलन) को सहयोग करते रहे हैं, जिससे पूरा देश वाकिफ है।

लखनऊ: केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को जल्दबाजी भरा करार दे चुके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 30 नवंबर तक इन पुराने नोटों को चलने देने की अपील की है। सीएम अखिलेश यादव ने इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि अब भी बहुत बड़ी आबादी बीमारियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर है। ऐसे में 8 नवंबर को अचानक 500 और 1000 के नोटों का चलन बंद किए जाने से खासकर निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों को भारी दिक्कतें हो रही हैं। कई मरीजों के लिए यह स्थिति जानलेवा भी हो रही है। उन्होंने पत्र में कहा 'आपसे अनुरोध है कि आप तत्काल हस्तक्षेप करके निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और दवा की दुकानों में 500 और 1000 रुपये के नोटों की स्वीकार्यता कम से कम 30 नवंबर तक बढ़ाने के आदेश दें, ताकि नए नोटों की उपलब्धता की स्थिति सामान्य होने तक गरीबों और आम जनता को कम से कम चिकित्सा एवं उपचार के लिए परेशान ना होना पड़े।' गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी के इस फैसले का सपा और बसपा जैसी प्रमुख पार्टियां पहले ही आलोचना कर चुकी हैं। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जहां इस मामले में 10 दिनों की राहत की मांग की थी। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने इस नोटबंदी को ‘अघोषित आर्थिक आपातकाल’ करार दिया था।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-नोएडा फ्लाईवे को टोल फ्री करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार किया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कैग से डीएनडी फ्लाइवे परियोजना की लागत की जांच करने और इसकी एक रिपोर्ट अदालत के समक्ष जमा करने को कहा। गौरतलब है कि दिवाली से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए डीएनडी फ्लाईओवर को टोल-फ्री कर दिया। कोर्ट का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया था। करार समझ से परे: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि डीएनडी (दिल्ली-नोएडा-डायरेक्ट) बनने पर 408 करोड़ का खर्चा आया था। कंपनी खुद मान रही है कि 31 मार्च 2014 तक 810.18 करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि 300 करोड़ रुपये की वसूली अभी शेष है। पैसा वसूलते रहने के बावजूद लागत कैसे बढ़ती जा रही है? कंपनी की यह गणना समझ से परे है। ऐसे तो 100 साल में भी भरपाई नहीं होगी। न्यायमूर्ति अरुण टंडन एवं न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि टोल ब्रिज कंपनी ने लागत वसूल कर ली है, लेकिन करार की शर्तों के अनुसार सौ साल में भी उसकी भरपाई नहीं होगी। गलत करार का खामियाजा जनता नहीं भुगत सकती। फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने 2012 में याचिका दायर की गई थी। चार साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गाजियाबाद: ज़िले के साहिबाबाद की गारमेंट फैक्ट्री में आज (शुक्रवार) तड़के करीब चार बजे भयंकर आग लग गर्इ, जिसमें 12 मजदूरों की मौत हो गई। हालांकि मौतों की अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सूचना मिलने पर दमकल वाहन और पुलिस मौके पर पहुंच गए। बताया जा रहा है कि आग लगने से फैक्ट्री परिसर में मौजूद 17 मजदूर झुलस गए। उनको तत्काल दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में ले जाया गया। जानकारी के अनुसार, अस्पताल लाए जाने से पहले ही 12 मजदूरों की मौत हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, यह फैक्ट्री शहीद नगर के जयपाल चौक के पास है, जो अवैध रूप से चलाई जा रही है। इसमें जैकेट्स बनाई जाती हैं। यह फैक्ट्री घनी अाबादी के बीच चल रही है।

 

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