लखनऊ: समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक दिवसीय बैठक शनिवार को भाजपा व केंद्र सरकार पर तीखे हमले करने के साथ ही वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटने के आह्वान के साथ संपन्न हो गई। कार्यकारिणी ने जनगणना में सभी जातियों की गणना कराकर जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी देने की मांग की है। राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव में कहा है कि केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को डराने, धमकाने के लिए आयकर, ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। सरकार की सनक के आगे विधायिका और न्यायपालिका लाचार नजर आ रही है।
सपा मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक अखिलेश यादव की अध्यक्षता में शुरू हुई। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2022 में होने वाले चुनाव के लिए अभी से जुटने और सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का आह्वान किया। कहा कि तीन साल में प्रदेश सरकार और 6 साल में केंद्र सरकार ने नफरत बढ़ाने के अलावा कोई काम नहीं किया। भाजपा सरकार ध्यान भटकाने में माहिर हैं। उन्हें गांव, गरीब, किसान और युवाओं से कोई लेना-देना नहीं है। करीब साढ़े तीन घंटे चली बैठक में प्रमुख राष्ट्रीय महासाचिव रामगोपाल यादव ने राजनीतिक एवं आर्थिक प्रस्ताव पेश किया। इस पर करीब 15 नेताओं ने अपनी राय रखी।
सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरमनय नंदा ने कहा कि देश के हालात 1992 में सपा के स्थापना काल में भी भयावह है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि संविधान में वर्णित शक्तियों का प्रथक्करण धुंधला पड़ गया है। कार्यपालिका ने लगभग सारे अधिकार अपने हाथ में ले लिए हैं। न्यायपालिका को प्रभाव शून्य करने और विधायिका को अपंग करने का काम पूरा कर लिया गया। केंद्र की भाजपा सरकार का लक्ष्य किसी न किसी तरीके से सत्ता में बने रहना और सत्ता हासिल करना रह गया है। चिंता की बात है कि पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई सरकार देशवासियों को लाचार और मजबूर बनाकर अपनी ताकत बढ़ाने में लग गई है।
मौजूदा सरकार सिर्फ पड़ोसी पाकिस्तान के प्रति युद्ध के उन्माद की माहौल बनाकर जनता के प्रति जिम्मेदारियों से मुंह मोड रही है। निर्लज्जतापूर्वक संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को तहस-नहस करने में लगी हुई है। जो व्यक्ति सरकार की खिलाफत करे उसे देशद्रोही घोषित कर दिया जाता है। वोट के लिए दंगे कराना, असंवैधानिक कानून बनाना भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरेकी घंटी के समान है।
85 फीसदी आबादी से सामाजिक अन्याय
सपा कार्यकारिणी ने प्रस्ताव में कहा है कि देश में नौकरियों की आरक्षण नीति के आधार पर 85 प्रतिशत आबादी को 50 प्रतिशत और 15 फीसदी आबादी को 50 प्रतिशत भागीदारी पाने का अधिकार है। यह सरासर सामाजिक अन्याय है। सपा ने मांग की है कि असंतुलित आरक्षण प्रणाली समाप्त हो और जिसकी जितनी आबादी है, उसकेअनुपात में हक और सम्मान मिलना चाहिए। जनगणना के आंकड़े एकत्र करने के लिए बनाए गए प्रारूप में सभी जातियों की जानकारी प्राप्त करने का कॉलम नहीं है? सपा ने जातियों की गणना कराने की मांग की है।
लक्ष्य से भटकी विदेश नीति
कार्यकारिणी ने कहा है कि हमारी विदेश नीति मूल लक्ष्य से भटक गई है। रुस हमारा सबसे विश्वसनीय मित्र देश होता था लेकिन हमारी गलत नीतियों से उसका झुकाव पाकिस्तान की तरफ हो गया है। बिना संकोच कह सकते हैं कि हमारे मित्र देशों की संख्या घटी है और शत्रु देशों की संख्या बढ़ी है। सफल विदेश नीति में मित्र देश बढ़ने चाहिएं और शत्रु देश घटने चाहिएं।
सीमाएं सिकुड़ रहीं, बेरोजगारी चरम पर
सपा ने कहा है कि हमारे देश की सीमाएं सिकुड़ रही हैं? आजादी के समय देश का जितना क्षेत्रफल था, उसमें लाखों वर्ग मीटर की कमी आई है। चीन और पाकिस्तान के कब्जे में भारत का बड़ा क्षेत्रफल है। भारत सरकार इसे वापस लेने का प्रयास नहीं कर रही है। देश में बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। आउटसोर्सिंग के जरिये अस्थायी भर्तियां की जा रही हैं। सरकारी नौकरी की उम्मीद रखने वालों के लिए रोजगार के रास्ते बंद किए जा रहे हैं। बैंकिंग प्रणाली लड़खड़ाई, निवेश गिरा: सपा ने कहा है कि नोटबंदी के आघात से अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण घटक मांग की प्रभावित किया है। फलस्वरूप औद्योगिक उत्पादन और निवेश भी गिरने लगा। पूरी बैंकिंग प्रणाली लड़खड़ा गई। बैंकों का एनपीए 18 फीसदी तक पहुंच गया। कई बैंकों का विलय करना पड़ा। हाल ही में यश बैंक डूब गया। अन्य बैंकों के हालात भी अच्छे नहीं है। देश को मंदी से निकालने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। सोना पहले से गिरवी रखा था। केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक से 1.75 लाख करोड़ रुपया और निकाल लिया।
सीएए, एनपीआर, एनआरसी से देश में बेचैनी
सपा ने कहा है कि नागरकिता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर की वजह से पूरे देश में बेचैनी है। इनमें पूरी दुनिया में सरकार की बदनामी हो रही है। दिल्ली में जो कुछ हुआ वह गुजरात दंगों की याद दिलाता है। दिल्ली में दंगे के लिए उकसाने वालों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज ने एफआईआर दर्ज करने केआदेश दिए तो आधी रात उनका तबादला कर गिया गया।
23 मार्च को साइकिल यात्रा, 22 अप्रैल को तहसीलों में धरना
सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने 23 मार्च को डॉ. लोहिया जयंती पर सभी जिलों में साइकिल यात्राएं निकालने और अगले महीने से हर 22 तारीख को तहसीलों पर धरना या साइकिल यात्रा निकालने पर मुहर लगा दी। 2022 में 22 मुद्दों को लेकर हर माह 22 तारीख को धरने में बड़े नेता भी शामिल होंगे।