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लखनऊ: भीम आर्मी के चीफ चन्द्रशेखर रावण और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर की सोमवार को लखनऊ में वीआईपी गेस्ट हाउस में मुलाकात हुई। दोनों के बीच एक घंटे तक विचार विमर्श हुआ। बाद में पत्रकारों के साथ बातचीत में ओम प्रकाश राजभर ने इसे एक शिष्टाचार मुलाकात बताया। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भविष्य में वे दोनों साथ भी आ सकते हैं। उन्होंने संकेत दिया कि आगे यह शिष्टाचार मुलाकात गठबंधन के रिश्ते में भी बदल सकती है।

चन्द्रशेखर रावण ने घोषणा की है कि वह 15 मार्च को अपनी पार्टी का एलान करेंगे और उसके बाद उनकी पार्टी ओम प्रकाश राजभर की अगुवाई में बने भागीदारी संकल्प मोर्चे में शामिल हो सकती है। मगर राजभर दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी के साथ भी दोस्ती की कोशिश में लगे हुए हैं। बसपा प्रमुख मायावती भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर रावण से काफी फासले पर हैं। समय-समय पर बसपा प्रमुख भीम आर्मी चीफ की तीखी आलोचना भी करती रही हैं। फिर भविष्य में भीम आर्मी और बसपा दोनों के साथ भागीदारी संकल्प मोर्चे का गठबंधन कैसे हो पाएगा? यह सवाल उठ रहे हैं।

इस सवाल पर ओम प्रकाश राजभर ने कहा-समय और हालात बहुत कुछ करवा देते हैं। यह समय और हालात का ही तकाजा था कि 27 साल पुरानी दुश्मनी भुलाकर सपा और बसपा 2017 में एक साथ मिलकर यूपी का विधान सभा चुनाव लड़े। राजभर ने कहा कि भीम आर्मी चीफ हों या बसपा प्रमुख दोनों ही बाबा साहब डा.भीमराव आम्बेडकर के रास्ते पर ही चल रहे हैं।

उन्होंने कहा-'हमारी पार्टी भी बाबा साहब के आदर्शों पर चलती रही है। इस नाते इस देश और प्रदेश की राजनीति में पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और दलितों के साथ जो कुछ हो रहा है सभी जानते हैं कि वह अच्छा नहीं हो रहा। इसलिए अब समय का तकाजा है कि सांप्रदायिक शक्तियों और भेदभाव करने वाली ताकतों के खिलाफ सभी धर्मनिरपेक्ष दल एकजुट हों। इसी मकसद से भागीदारी संकल्प मोर्चा ऐसे सभी दलों को एक साथ लेकर चलने की कोशिश में जुटा है।'

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