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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन काननू (सीएए) को लेकर बीते 19 दिसंबर को पूरे यूपी में हुए उग्र विरोध प्रदर्शनों और आगजनी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने शरारती तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में संलिप्त प्रदर्शनकारियों की प्रॉपर्टी सीज कर की बात कही थी। योगी सरकार के इस फैसलों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 31 जनवरी को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से नोटिस जारी कर उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें राज्य में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिसों को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर अपना जवाब दायर करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश में यह नोटिस एक व्यक्ति के खिलाफ “मनमाने तरीके” से भेजा गया जिसकी 94 की उम्र में छह साल पहले मौत हो चुकी है।

साथ ही दो अन्य को भी नोटिस भेजे गए जिनकी उम्र 90 साल से अधिक है।

मामले में याचिकाकर्ता एवं वकील परवेज आरिफ टीटू ने यह दावा करते हुए इन नोटिस पर रोक लगाने का अनुरोध किया है कि ये उन व्यक्तियों को भेजे गए हैं जिनके खिलाफ किसी दंडात्मक प्रावधान के तहत मामला दर्ज नहीं हुआ और न ही उनके खिलाफ किसी प्राथमिकी या अपराध का ब्योरा उपलब्ध कराया गया है।

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