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लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने मंगलवार को गायत्री प्रजापति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दर्ज बलात्कार के मामले में जांच के सिलसिले में आज उनके आवास पर पहुंची, मगर वह वहां नहीं मिले। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जांच के सिलसिले में आज पुलिस की एक टीम उनके (प्रजापति) के सरकारी आवास पर गयी थी, लेकिन वह वहां नहीं मिले। हमने एक टीम अमेठी भी भेजी है।’ प्रजापति अखिलेश सरकार में मंत्री हैं और अमेठी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां वह खुलेआम वोट मांगते घूम रहे हैं। प्रजापति ने उनके क्षेत्र में हाल ही में हुई मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जनसभा में भी भागीदारी की थी। लेकिन अखिलेश के मंच पर पहुंचने से पहले अपनी बात कह कर नीचे उतर आए थे। एक महिला की याचिका पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में गायत्री प्रजापति (49) के खिलाफ 18 फरवरी को सामूहिक बलात्कार और महिला की नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार की कोशिश के आरोप में पाक्सो अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गयी है। उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। पीड़िता ने न्यायालय में याचिका दाखिल करके आरोप लगाया था कि गायत्री प्रजापति ने उसे नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था और पहली बार उसके साथ अक्टूबर 2014 में बलात्कार किया। उसके बाद दो साल तक वह और उनके छह अन्य सहयोगी उसके साथ बलात्कार करते रहे।

जब मंत्री और उसके साथियों ने उसकी नाबालिग बेटी को अपनी हवश का शिकार बनाना चाहा, तब उसने पुलिस में शिकायत करने की कोशिश की और इस सिलसिले में पुलिस महानिदेशक तक गुहार लगाई। महिला ने याचिका में कहा कि जब पुलिस ने उसकी बात नहीं सुनी तो मजबूरन उसे अदालत की शरण में आना पड़ा। गौरतलब है कि सपा में वर्चस्व को लेकर मुलायम सिंह यादव परिवार में अखिलेश और चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच चली जोर आजमाईश में अखिलेश ने प्रजापति को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन उन्हें फिर मंत्रीपद मिल गया। प्रजापति अमेठी से चुनाव मैदान में हैं और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से विपक्षी दल लगातार सपा को निशाना बना रहे हैं। भाजपा नेताओं ने इस बहाने अखिलेश पर तो निशाना साधा ही, रायबरेली में सपा कांग्रेस गठबंधन के लिए प्रचार करने पर प्रियंका गांधी वाड्रा की भी आलोचना की और कहा कि उनका एक ऐसे उम्मीदवार के लिए प्रचार करना दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज है।

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