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नैनीताल (जनादेश ब्यूरो): उत्तराखंड में बाढ़ और बारिश से अब तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है। एनडीआरएफ के आईजी अमरेंद्र सिंह सेंगर ने मीडिया से कहा कि तकरीबन 4000 गांव बाढ़ में बुरी तरह से घिरे हैं।

अमित शाह का दौरा आज

गृह मंत्री अमित शाह आज उत्तराखंड में आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे। वो देर रात देहरादून पहुंचे हैं। गृह मंत्री अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे। राज्य के कुछ इलाकों में जहां भूस्खलन हुआ है, वहां लापता लोगों की तलाश तेज़ की गई है। इस त्रासदी में 4000 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं, जिनमे से करीब 1000 बिजली कट जाने की वजह से अंधेरे में हैं। अल्मोड़ा और रानीखेत के इलाके भूस्खलन के बाद बाहर के इलाकों से अब भी कटे हुए हैं।

बारिश रुक गई है, लेकिन बचाव की चुनौती बची हुई है। उत्तराखंड में अब लापता लोगों की तलाश तेज़ की गई है। बुधवार को नैनीताल ज़िले के तल्ला रामगढ में दो लोगों के शव मिले। अब भी जिन इलाकों में भारी भूस्खलन हुआ है। वहां कई लोग लापता हैं जिनकी तलाश चल रही है।

एनडीआरएफ के आईजी अमरेंद्र सिंह सेंगर ने कहा कि आज हमने लैंडस्लाइड से प्रभावित इलाकों में कुछ बॉडी रिकवर की है। जिन इलाकों में लोग लापता हुए हैं उनकी खोज जारी है।

गुरुवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे किया। राज्य सरकार ने आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का एलान किया है। वहीं जिन लोगों के घर आपदा में नष्‍ट हो गए हैं, उन्‍हें 1.90 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। किसानों के साथ ही बाढ़ व भूस्‍खलन में अपने मवेशियों को खोने वालों की भी मदद की जाएगी।

उत्तराखंड के अल्मोड़ा और रानीखेत के इलाके भूस्खलन और सड़कें टूटने की वजह से अब भी कटे हुए हैं। रानीखेत में इंधन की सप्लाई इमरजेंसी सेवाओं के लिए सीमित कर दी गई है। कई इलाकों में फोन और इंटरनेट सेवायें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। सबसे ज्यादा नुकसान दूरदराज के गांवों में हुआ है, जहां सड़कें टूट जाने से राहत बचाव सामग्री पहुंचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

उत्तराखंड के आसपास सैटेलाइट इमेज में बादल कम दिख रहे हैं, बारिश काफी घट गई है। हालांकि बाढ़ प्रभावित दुर्गम इलाकों में सैकड़ों पर्यटक फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने का काम जारी है।

नैनीताल और अल्मोड़ा में सेना द्वारा राहत कार्य

अल्मोड़ा और नैनीताल में स्थानीय आबादी की मदद के लिए भारतीय सेना की टुकड़ी नागरिक प्राधिकरण की सहायता में रवाना हो गई। पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण गरमपानी/खैरना क्षेत्रों के पास स्थिति गंभीर होने पर नागरिक प्रशासन ने सेना को बुलाया है। नदी के अत्यधिक प्रवाह के कारण घाटी बुरी तरह प्रभावित हुई है और आसपास के भवनों के लिए खतरा पैदा हो गया है। फंसे हुए नागरिकों को बचाने, घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने और खाद्य आपूर्ति बहाल करने के लिए सैन्य सहायता मांगी गई थी।

स्ट्राइक 1 की कांगो ब्रिगेड की 120 जवानों का बचाव दल रानीखेत से रवाना हो गया और प्रभावित जगह पर पहुंच गया। खैरना से कैंची धाम मार्ग तक बचाव और राहत कार्यों में बाधा डालने वाला प्रमुख चोक प्वाइंट था जहां लगभग 500 पर्यटक फंसे हुए थे। बचाव दल की तीन टीमों ने बचाव और राहत अभियान चलाया और गरमपानी और खैरना में फंसे लोगों की मदद की. भारतीय सेना के जवानों ने खैरना में पर्यटकों और 200 ग्रामीणों को पैक भोजन और खाने का सामान वितरित किया। मेडिकल यूनिट की स्थापना की गई और मेडिकल रिएक्शन टीम के प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा चिकित्सा निरीक्षण के बाद लोगों को उपचार दिया गया। रात भर पर्यटकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।

सभी फंसे हुए लोगों के लिए भोजन तैयार करने के लिए खैरना में खाद्य वितरण केंद भी स्थापित किया गया था। भारतीय सेना द्वारा प्रदर्शित तेज और त्वरित प्रतिक्रिया ने कई पर्यटकों और स्थानीय लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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