नैनीताल: हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगाई गई रोक को हटा दिया है। यात्रा की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी गई है। वहीं अधिकारियों के सूत्रों से यह भी खबर है कि चारधाम यात्रा की एसओपी शुक्रवार को जारी हो सकती है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा है कि एक दिन में केदारनाथ धाम में 800, बदरीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं को ही जाने की अनुमति होगी। श्रद्धालु कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे। श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी। जिनको कोविड टीके की दोनों डोज लग चुकी हैं, उनको वेक्सीनेशन सर्फिफिकेट साथ लाना होगा। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में चारधाम यात्रा के दौरान पर्याप्त पुलिस फोर्स तैनात करनी होगी।
यात्रा पर लगी रोक हटाने के लिए राज्य सरकार की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और अन्य ने सरकार का पक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि कोविड अब काफी नियंत्रण में है और देश के सभी धार्मिक स्थल खुले हुए हैं। यात्रा न होने से स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का हवाला देते हुए एसओपी के तहत चार धाम यात्रा की अनुमति देने की मांग की।
चारों धामों में पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था हो, चेकपोस्ट बनाएं
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि चारों धामों में मेडिकल की पूर्ण सुविधा हो। मेडिकल स्टाफ, नर्सें, डॉक्टर, ऑक्सीजन बेड और वेंटिलेटर की पर्याप्त व्यवस्था हो। यात्रा के दौरान सरकार मेडिकल हेल्पलाइन जारी करे जिससे कि अस्वस्थ लोगों को स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं का आसानी से पता चल सके। अदालत ने श्रद्धालुओं की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट और वेक्सीनेशन का सर्टिफिकेट की जांच के लिए चारों धामों में चेक पोस्ट बनाने को कहा है। बदरीनाथ में पांच, केदारनाथ में तीन चेक पोस्ट बनाने के निर्देश दिए। भविष्य में अगर कोविड के केस बढ़ते हैं तो सरकार यात्रा को स्थगित कर सकती है।
कोर्ट ने एंटी स्पीटिंग एक्ट को चारों धामों में प्रभावी रूप से लागू करने को कहा है, तीनों जिलों के विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए हैं कि वे यात्रा की निगरानी करें और उसकी रिपोर्ट हर सप्ताह कोर्ट में दें। जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे यात्रा को सफल बनाने के लिए स्थानीय लोगों और एनजीओ की सहायता ले सकते हैं लेकिन एनजीओ सही व जिम्मेदार होनी चाहिए। चारधाम यात्रा में जगह-जगह पर सुलभ शौचालय बनाए जाएं, जिससे श्रद्धालुओं को असुविधा न हो।
ये तर्क दिए गए
महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के साथ-साथ देश में भी कोविड केसों में कमी आई है। सभी मंदिर, स्कूल, न्यायालय, संसद सब खुल चुके हैं, लिहाजा चारधाम यात्रा को भी कोविड के नियमों के अनुसार खोलने की अनुमति दी जाए। यात्रा नहीं होने के कारण इससे जुड़े लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। अधिवक्ता शिव भट्ट ने चारधाम में श्रद्धालुओं और यात्रियों की सुरक्षा संबंधी बिंदुओं को कोर्ट के सम्मुख रखा। उन्होंने कहा कि सरकार ने चारधाम यात्रा को खोलने के लिए जो एसओपी जारी की है वह पूर्ण नहीं है। इसमें कई तह की कमियां हैं। सरकार के पास मेडिकल की सुविधा नहीं है, शौचालय नहीं हैं, एयर एम्बुलेंस-हेलीकॉप्टर नहीं है। यहां तक कि नियमों के पालन कराने के लिए पर्याप्त पुलिस फोर्स तक नहीं है। इसलिए चारधाम यात्रा को प्रतिबंधों के साथ खोला जाए।
यह था मामला
कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी, स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त न होने आदि के आधार पर उच्च न्यायालय ने 28 जून को चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई नहीं हो सकी।
बीते दिनों महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और सीएससी चंद्रशेखर रावत ने मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मौखिक रूप से यात्रा पर लगी रोक को हटाने का अनुरोध किया था। इस पर हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी के विचाराधीन होने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर रहने तक इस अनुरोध पर विचार करने से इंकार कर दिया था।
इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस ले ली थी। सरकार की ओर से कोर्ट को यह जानकारी दिए जाने के बाद कोर्ट ने सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तिथि नियत की थी। सरकार की ओर से दाखिल शपथपत्र पर सुनवाई के बाद अदालत ने अपने 28 जून के निर्णय से यात्रा पर लगाई गई रोक को हटा दिया है। कोर्ट ने सरकार को कोविड के नियमों व एसओपी का पालन करते हुए कुछ प्रतिबंधों के साथ चारधाम यात्रा शुरू करने की अनुमति प्रदान की है। कोर्ट ने अपने आदेश में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट का भी जिक्र किया।
सरकार और व्यवसायियों को बड़ी राहत
हाईकोर्ट की ओर से यात्रा पर लगी रोक हटाये जाने से राज्य सरकार सहित यात्रा से जुड़े व्यवसायियों को बड़ी राहत मिली है। इससे तीर्थ पुरोहितों और उत्तरकाशी, चमोली एवं रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों को भी राहत की उम्मीद है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से यात्रा से जुड़े हैं।