नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज चेतावनी दी कि पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद में अदालत की डिक्री का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही न्यायालय ने दोनों राज्यों को निर्देश दिया कि उसके आदेशों पर सख्ती से अमल किया जाये। न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने कहा, ‘‘हम इस न्यायालय द्वारा पारित डिक्री का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं देंगे और इस पर अमल करना ही होगा। इस डिक्री पर कैसे अमल हो रहा है यह संबंधित पक्षों का सिरदर्द है।’’ पीठ ने न्यायालय के आदेशों पर अमल के लिये हरियाया की याचिका पर केन्द्र और पंजाब राज्य को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि यथास्थिति बनाये रखने संबंधी अंतरिम आदेश बरकरार रहेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि केन्द्रीय गृह सचिव, पंजाब के मुख्य सचिव और पंजाब के पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि यथास्थिति बनाये रखी गयी है। इन तीनों अधिकारियों को संबंधित भूमि और नहर की अन्य संपत्तियों के लिये अदालत का रिसीवर नियुक्त किया गया है। हालांकि, हरियाया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीप धनकड ने गृह सचिव की रिपोर्ट पर आपत्ति की और कहा कि इसमें कहा गया है कि समिति के मौके पर देखा कि ‘‘जानबूझ कर कोई क्षति’’ नहीं पहुंचायी गयी है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे रिपोर्ट में प्रयुक्त ‘जानबूझकर’ शब्द पर आपत्ति है।’’ गृह मंत्रालय की ओर से सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि उनका जवाब तैयार है और उसे सप्ताह के दौरान ही दाखिल कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने पंजाब समझौता निरस्तीकरण कानून, 2004 को चुनौती नहीं दी है और इसीलिए इसे अभी तक निरस्त नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा मांगी गयी राय पर दिये गये जवाब परामर्श अधिकार क्षेत्र के हैं और इसलिए न्यायालय ने कानून निरस्त नहीं किया है। इस पर पीठ ने कहा कि वह सारे मामले में विस्तार से सुनवाई होने पर इस पर गौर करेगी।