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बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। कर्नाटक में संगठन के राज्‍य प्रमुख नासिर पाशा ने यह याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने इससे पहले उस याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा था, जिसमें पीएफआई और उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर 5 साल का प्रतिबंध लगाने पर सवाल उठाया गया था। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया था कि केंद्र सरकार इस प्रतिबंध को न्‍यायोचित ठहराने में नाकाम रही है। याचिका में यह भीकहा गया है कि केंद्र ने अपराध की विभिन्न घटनाओं के आधार पर यह निर्णय लिया है और यह संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकार पर अंकुश लगाता है।

गौरतलब है कि सितंबर माह में केंद्र सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से ‘संबंध' होने के कारण पीएफआई और उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर कड़े आतंकवाद रोधी कानून के तहत पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था।

प्रतिबंधित संगठन पर आपराधिक साजिश के तहत हवाला और दान के माध्यम से भारत और विदेश दोनों से धन जुटाने का आरोप लगाया गया है। गृह मंत्रालय के एक आदेश में कहा गया था, "धन और बाहर से वैचारिक समर्थन के साथ, यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।"

मंत्रालय ने कहा कि पीएफआई "केरल में एक कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटना और अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्याएं जैसी हिंसक कृत्यों में शामिल रहा है।" बयान में कहा गया था, 'पीएफआई के सदस्यों ने लोगों के मन में आतंक का राज कायम करने के लिए अतीत में कई आपराधिक गतिविधियां और नृशंस हत्याएं की हैं।

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