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नई दिल्ली: कर्नाटक हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। दस दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि कर्नाटक में हिजाब बैन का आदेश सही है या नहीं। दस दिन चली सुनवाई के बाद जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने हिजाब विवाद पर फैसला सुरक्षित रखने का एलान कर दिया। पीठ ने कहा कि अब भी जिनको लिखित दलीलें देनी हो दे सकते हैं। बहस का अंत संजय हेगड़े ने एक शेर के साथ किया. ' उन्हें है शौक तुम्हें बेपर्दा देखने का तुम्हें शर्म आती हो तो अपनी आंखों पर हथेलियां रख लो।' 16 अक्टूबर को जस्टिस हेमंत गुप्ता रिटायर हो रहे हैं, इसलिए हिजाब बैन पर फैसला इससे पहले आने की उम्मीद है।

इससे पहले मामले में कर्नाटक सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने हिजाब प्रतिबंध विवाद में किसी भी ‘‘धार्मिक पहलू'' को नहीं छुआ है और यह प्रतिबंध केवल कक्षा तक सीमित है। राज्य सरकार ने कहा कि यहां तक कि कक्षा के बाहर स्कूल परिसरों में भी हिजाब पर प्रतिबंध नहीं है।

राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने जोर देकर कहा कि राज्य ने केवल यह कहा है कि शैक्षणिक संस्थान छात्रों के लिए वर्दी निर्धारित कर सकते हैं, जिसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।

कर्नाटक के महाधिवक्ता प्रभुलिंग के. नवदगी ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ को बताया कि फ्रांस जैसे देशों ने हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है और वहां की महिलाएं इससे कम इस्लामी नहीं हो गई हैं। नवदगी ने कहा कि जब तक यह नहीं दर्शाया जाता है कि हिजाब पहनना अनिवार्य और धार्मिक प्रथा का अनिवार्य हिस्सा है, तब तक संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षण नहीं मिल सकता है। महाधिवक्ता ने पीठ से कहा कि हम स्कूल के बाहर हिजाब पहनने पर प्रतिबंध नहीं लगाते... स्कूल परिसर में भी कोई प्रतिबंध नहीं है। प्रतिबंध केवल कक्षा के अंदर है।''

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