बंगलूरू: कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा पेश किए गए विश्वास मत के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को शुक्रवार तक के लिये स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस सदस्यों द्वारा भाजपा के खिलाफ लगातार की जा रही नारेबाजी के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष कृष्णा रेड्डी द्वारा सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की तरफ से अपनी बात रखी जानी अभी बाकी ही थी। सत्ताधारी गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद राज्य में सरकार के लिये मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने एक वाक्य का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन उनके नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी सरकार में विश्वास व्यक्त करता है।
सरगर्मी भरे माहौल में गुरुवार को शुरू हुई सदन की कार्यवाही में 20 विधायक नहीं पहुंचे। इनमें 17 सत्तारूढ़ गठबंधन के हैं। बागी विधायकों में से 12 फिलहाल मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं। सदन की कार्यवाही को गतिरोध के चलते दो बार थोड़ी थोड़ी देर के लिये स्थगित करना पड़ा और बाद में हंगामे के चलते कार्यवाही को दिन भर के लिये स्थगित कर दिया गया।
सदन की कार्यवाही स्थगित होने से पहले, भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने घोषणा की कि उनकी पार्टी के सदस्य रातभर सदन में ही रहेंगे और विश्वास प्रस्ताव पर फैसला होने तक सदन में ही डटे रहेंगे। येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘हम विश्वास मत के प्रस्ताव पर फैसला होने तक रूके रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर ठीक तरह से 15 मिनट भी चर्चा नहीं हुई है और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य अन्य मुद्दों को उठा रहे हैं ताकि विश्वास प्रस्ताव को टाला जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘ संवैधानिक रूपरेखा का उल्लंघन हुआ है।’’ येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘ इसका विरोध करने के लिए हम यहां सोएंगे।’
सत्तारूढ़ गठबंधन की मुश्किलें उस वक्त और बढ़ गईं जब कांग्रेस के एक अन्य विधायक श्रीमंत पाटिल सदन से गैर-हाजिर दिखे। उनके बारे में ऐसी खबरें आ रही हैं कि उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
एक बार कांग्रेसी सदस्य सदन में पाटिल की तस्वीर लेकर अध्यक्ष के आसन के समक्ष आ गए और “भाजपा हाय-हाय” और “ऑपरेशन कमल हाय-हाय” के नारे लगाने लगे। कांग्रेस-जद(एस) सरकार को समर्थन दे रहे बसपा विधायक महेश भी सदन में नहीं आए। उनके बारे में खबरें आ रही हैं कि वह सदन से गैर-हाजिर इसलिए हैं क्योंकि उन्हें विश्वास मत पर कोई रुख तय करने को लेकर पार्टी प्रमुख मायावती से कोई निर्देश नहीं मिला है।
शक्ति परीक्षण से एक दिन पहले गठबंधन को थोड़ी राहत देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामालिंगा रेड्डी ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ रहेंगे और विश्वास मत पर मतदान के दौरान सरकार का समर्थन करेंगे। कुमारस्वामी ने जोर दिया कि कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के बारे में संशय पैदा किया गया है और इसे देश के सामने लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें सच बताना होगा।’’ उन्होंने कहा, “कर्नाटक में जो हो रहा है उसे पूरा देश देश रहा है।”
जैसे ही प्रस्ताव लाया गया विपक्षी भाजपा नेता बी एस येद्दियुरप्पा खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि विश्वास मत की प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी होनी चाहिए। इस पर कुमारस्वामी ने येद्दियुरप्पा पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘विपक्ष के नेता काफी जल्दबाजी में दिख रहे हैं।’’
कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव को टालने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के सियासी संकट को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष जब तक व्हिप के मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेते तब तक के लिये इसे अमल में न लाया जाए। कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि मुंबई में ठहरे 15 बागी विधायक उच्चतम न्यायालय के आदेश से प्रभावित हैं कि वे विधानसभा की कार्यवाही से दूर रह सकते हैं और विधानसभाध्यक्ष के आर रमेश से कहा कि वे कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर जारी व्हिप के भविष्य को लेकर कोई फैसला दें।
सदन में विश्वास मत पर जैसे ही चर्चा शुरू हुई सिद्धरमैया ने अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से कहा, “अगर यह प्रस्ताव लिया जाता है तो यह संवैधानिक नहीं होगा। यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है। मैं आपसे इसे टालने का अनुरोध करता हूं। मैं इस व्यवस्था के विषय पर आपका फैसला चाहता हूं।” विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर कहा कि वह इस पर महाधिवक्ता से परामर्श करेंगे।
इससे पहले भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात कर उन्हें विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग की कि वह आज ही विश्वास मत की प्रक्रिया को पूरा करें। इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि वह विश्वास प्रस्ताव की मतदान की प्रक्रिया को दिन के अंत तक पूरी करें।
राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा, “कर्नाटक के मुख्यमंत्री द्वारा पेश किये गए विश्वास मत के प्रस्ताव पर आज सदन में चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री से अपने कार्यकाल के दौरान हर समय सदन का विश्वास बरकरार रखने की उम्मीद की जाती है।” उन्होंने कहा, “मैं, इसलिये, सदन को यह संदेश भेज रहा हूं कि आज दिन खत्म होने तक सदन की कार्यवाही पूरी करने पर विचार करें।”
संविधान के अनुच्छेद 175 के तहत भेजे गए वजुभाई वाला के संदेश में कहा गया है कि दिन खत्म होने तक प्रक्रियाओं के पूरा होने से लोकतंत्र और संसदीय परिपाटियों की उच्च परंपराएं बरकरार रहेंगी।
विधानसभा अध्यक्ष ने संदेश को पढ़ा और कहा, “मैंने इसे सदन के संज्ञान में ला दिया है।”
सदन में इस बात को लेकर भी कांग्रेस सदस्यों ने आरोप लगाते हुए हंगामा किया कि विधायक श्रीमंत पाटिल उनके साथ एक रिसॉर्ट में रहने के बाद अचानक गायब हो गए और उसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका। कांग्रेसी सदस्यों का आरोप था कि गठबंधन सरकार को “गिराने” के प्रयासों के तहत उनका “अपहरण” किया गया।
कांग्रेसी सदस्यों ने एक सुर में कहा कि विधायक डर में जी रहे हैं और पाटिल का अपहरण कर उन्हें एक कमरे में रखा गया और एक विशेष विमान से मुंबई ले जाकर उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी भाजपा विधायकों के बीच कई बार तीखी बहस हुई। विधानसभा की कार्रवाई शुरू होने से ठीक पहले कांग्रेसी विधायकों को बस से लाया गया।
विश्वास मत से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष येदियुरप्पा ने भरोसा जताया कि यह प्रस्ताव गिर जाएगा। येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि उनकी पार्टी कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन) क्या करने वाली है, लेकिन हम 105 हैं। वे 100 से कम होंगे। हमें 100 फीसदी यकीन है कि विश्वास मत गिर जाएगा।’’
शक्ति परीक्षण ऐसे समय में हो रहा है जब कल ही उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि कांग्रेस-जद(एस) के 15 बागी विधायकों को विधानसभा के मौजूदा सत्र की कार्यवाहियों में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।