बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने शनिवार को घोषणा की कि कर्नाटक कैबिनेट का विस्तार 12 जून को होगा। कांग्रेस-जदएस गठबंधन के भीतर बढ़ते असंतोष को समाप्त करने के लिए यह काफी अपेक्षित कदम था जो सरकार की स्थिरता के लिए खतरा है। कुमारस्वामी ने यह घोषणा राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात के बाद ट्वीट करके की। यह मुलाकात मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेताओं के बीच मशविरे के कुछ सप्ताह बाद हुई थी। कुमारस्वामी ने ट्वीट किया, ''आज मैंने माननीय राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें कैबिनेट विस्तार के लिए समय देने का अनुरोध किया। उन्होंने शपथ दिलाने के लिए 12 जून, बुधवार, पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे का समय तय किया है।"
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और जद-एस के खराब प्रदर्शन के बाद कैबिनेट विस्तार होने की उम्मीद की जा रही थी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और जद-एस दोनों कर्नाटक में मात्र एक-एक सीट ही जीत पाए। भाजपा ने कर्नाटक में 28 सीटों में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार एस अंबरीश ने मांड्या सीट पर कुमारस्वामी के पुत्र निखिल को हराया।
कैबिनेट विस्तार को चुनाव में हार के बाद उभर रहे असंतोष पर काबू पाने के एक तरीके के तौर पर देखा जा रहा है, विशेष तौर पर कांग्रेस में क्योंकि कई वरिष्ठ नेता खुलेआम प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। कर्नाटक में कुल 34 मंत्रिपद हैं जिनमें से कांग्रेस और जदएस ने एक सहमति के तहत क्रमश: 22 और 12 साझा किये हैं। वर्तमान में तीन पद खाली हैं, दो जद-एस से और एक कांग्रेस से।
गठबंधन के लिए मुश्किल इस सप्ताह के शुरू में शुरू हुई थी जब जद-एस प्रदेश प्रमुख ए एच विश्वनाथ ने गठबंधन के कामकाज की आलोचना करते हुए अपना पद छोड़ दिया था, जबकि कांग्रेस के दो वरिष्ठ विधायकों ने आम चुनाव में हार के लिए पार्टी के प्रदेश नेताओं पर निशाना साधा था।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामलिंगा रेड्डी ने भी पार्टी प्रदेश नेतृत्व पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को नजरंदाज किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि वर्तमान स्थिति जारी रही तो वरिष्ठों के लिए पार्टी में बने रहना मुश्किल होगा। इससे कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता रोशन बेग ने कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल, कर्नाटक प्रदेश प्रमुख दिनेश गुंडू राव और सिद्धरमैया पर निशाना साधा था।