बेंगलुरू: बेंगलुरु के सबसे बड़े जलाशय बेलांदुर झील के अत्यधिक प्रदूषित होने के कारण निकली आग से आसपास के इलाकों में रहने वाले सैकड़ों लोगों को परेशानी हुई। स्थानीय लोगों ने सीवेज, रसायनों और मलबे से भरी झील से धुएं का गुबार निकलते हुए देखा। दमकल अधिकारियों ने बताया कि झील के बीच के हिस्से में आग लगी थी। झील में धुआं उठने और आग लगने की तस्वीरें और वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गईं।
विभिन्न सरकारी एजेंसियां और रक्षा कर्मी आग पर काबू पाने में जुट गए। झील में बार-बार पैदा होने वाले इस समस्या की ओर सिविक एजेंसियों की उदासीनता को लेकर चिंताएं पैदा हो गई हैं। रक्षा अधिकारियों के अनुसार, मेजर जनरल एन एस राजपुरोहित के नेतृत्व में एएससी के 5,000 जवानों के दल ने झील में आग पर काबू पाया।
इंफोटेक हब के समीप 1,000 से अधिक एकड़ में फैली यह झील अत्यधिक दूषित है। शहर में पैदा होने वाले मल का 60 फीसदी हिस्सा इस झील में आता है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहने तथा झील को उसका प्राचीन गौरव वापस दिलाने के लिए कुछ खास ना करने को लेकर सरकार और विभिन्न एजेंसियों की खिंचाई की थी लेकिन इसके बावजूद झील की हालत बदतर है।
बेंगलुरू के महापौर आर संपत राज ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि यह आग रसायनों के इकट्ठा होने का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पानी के नमूने एकत्रित किए जाएंगे और आग लगने की वजह का पता लगाने के लिए इनकी जांच की जाएगी।
इस घटना के बाद कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और रक्षा विभाग के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।केएसपीसीबी के अध्यक्ष लक्ष्मण ने आरोप लगाया कि रक्षा विभाग की जमीन से आग लगनी शुरू हुई और झील के इलाके में फैल गई। रक्षा विभाग ने कहा कि आग झील के क्षेत्र में लगी ना कि उसकी भूमि पर। बेलांदुर झील में मई 2015 और अगस्त 2016 में भी आग लगी थी।