जम्मू: भारत और पाकिस्तान के बीच अनवरत वार्ता की मांग करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि यह राज्य आसपड़ोस में शांति का सबसे बड़ा लाभार्थी होगा तथा उन्होंने यूरोपीय संघ की तर्ज पर इस उपमहाद्वीप में सीमाओं के आरपार स्वतंत्र आवाजाही की वकालत की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच वैमनस्य से जम्मू-कश्मीर का अमनचैन प्रभावित हुआ और उन्हें उम्मीद है कि दोनों देश अदूरदर्शिता त्यागेंगे एवं यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि लोग शांतिपूर्ण और गरिमापूर्ण जीवन जी पाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ जैसी स्थिति बनाने की जरूरत है जहां लोग विभिन्न देशों के बीच स्वतंत्र होकर आते जाते हैं। फारूक ने कहा, ‘यदि यूरोपीय संघ कर सकता है तो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अन्य पड़ोसी देश ऐसा क्यों नहीं कर सकते।’ वह बांग्लादेश-भारत-पाकिस्तान पीस फोरम द्वारा इन तीनों देशों में शांति एवं एकता विकसित करने की पहल के महत्व पर एक सम्मेलन में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘अतीत का वैमनस्य तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्यम में वर्तमान और भविष्य में कब तक अपनी काली छाया डालता रहेगा। इस उपमहाद्वीप के लोगों को भी स्वतंत्र और डरमुक्त माहौल में जीने का हक है।’ उन्होंने कहा कि अविश्वास और संदेह के युग ने इस उपमहाद्वीप के देशों के विकास की गति धीमी की है। इस स्थिति को खत्म करने की जरूरत है।