रांची: झारखंड के देवघर स्थित त्रिकूट रोपवे हादसे में बचाव कार्य जारी है। पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी है कि अब तक 37 लोगों को बचा लिया गया है। वहीं, 10 लोग अभी भी तीन केबल कार में फंसे हुए हैं। राज्य के मुख्मयंत्री हेमत सोरेन ने सोमवार को घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। बचाव कार्य में भारतीय सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और स्थानीय पुलिस जुटी हुई है।
हवा में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए भारतीय सेना के एक एमआई-17 और एक एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है। वहीं, अब तक बचाए गए लोगों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। खबर है कि लंबे समय तक ऊंचाई पर फंसे रहने के कारण कई लोग बीमार हो चुके हैं। झारखंड पर्यटन विभाग के अनुसार, यह भारत का सबसे ऊंचा वर्टिकल रोपवे है।
रविवार को बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पास त्रिकूट पहाड़ी पर रोपवे हादसा हो गया था। इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने जानकारी दी कि बचाव कार्य सुबह 5 बजे दोबारा शुरू हुआ और पांच और लोगों को बचाया गया है।
खबर है कि 37 लोगों को अब तक निकाला जा चुका है। जबकि, 10 लोग अभी भी हवा में फंसे हुए हैं।
बड़ा सवाल: आखिर कैसे हुआ हादसा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देवघर रोपवे चलाने वाली एजेंसी को सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च से मेंटेनेंस के संबंध में हर साल सर्टिफिकेट हासिल करना पड़ता है। वहीं, एजेंसी को मेंटेनेंस से जुड़ी लॉग बुक में भी हर रोज जानकारी दाखिल करना जरूरी है। इतना ही नहीं संचालित होने से पहले सुबह रोपवे के हर एक चक्के की जांच भी होती है। इतनी सावधानियों के बाद भी हादसे ने सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।
खबर है कि 2009 में तैयार हुए इस रोपवे के संचालन की जिम्मेदारी 2012 में दामोदर वैली कॉर्पोरेशन को दी गई थी। हर पांच साल में टेंडर दोबारा भरे जाते हैं। इस काम में झारखंड स्टेट ट्राइबल को-ऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ डीवीसी का करार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करार में जेएसटीडीसी की कोई जिम्मेदारियां शामिल नहीं हैं। इसके मेंटनेंस और संचालन का काम डीवीसी का है।