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नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने भारतीय तीर्थयात्रियों को पाक द्वारा वीजा देने से इनकार करने पर कड़ा विरोध दर्ज किया है। मूल नानक शाही कैलेंडर के अनुसार 16 जून को पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी के शहीदी पर्व को मनाने के लिए पाकिस्तान जाने वाले 130 श्रद्धालुओं के जत्थे को अटारी रेलवे स्टेशन पर रोक लिया गया। अटारी रेलवे स्टेशन मास्टर को इन श्रद्धालुओं को पाकिस्तान भेजने के बारे में कोई भी क्लीयरेंस नहीं मिली। जिस कारण इन श्रद्धालुओं को लेने पाकिस्तान के वाघा रेलवे स्टेशन से अटारी आने वाली स्पेशल गाड़ी को अंतरराष्ट्रीय सीमा से भारतीय सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया गया।

अटारी स्टेशन पर गाड़ी न पहुंचने के विरोध में पाकिस्तान जाने वाले श्रद्धालुओं ने केंद्र व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरुद्ध नारेबाजी की। शहीदी पर्व के लिए पाकिस्तान जाने की अनुमति न मिलने के विरोध में श्रद्धालु अटारी रेलवे स्टेशन के बाहर लेट गए। कई घंटे इंतजार के बाद सभी श्रद्धालु लौट गए। पाकिस्तान जाने के लिए पंजाब के अलग-अलग गांव, कस्बों और शहरों से श्रद्धालु सुबह सात बजे अटारी स्टेशन पहुंचने शुरू हो गए थे। स्टेशन स्टाफ ने यहां न तो पानी का प्रबंध कर रखा था और न ही एसजीपीसी की तरफ से लंगर की व्यवस्था थी।

चंडीगढ़: विभाग बदले जाने से आहत पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से शिकायत करने के बाद चंडीगढ़ लौट आए, लेकिन बुधवार को न तो उन्होंने नए विभाग का पदभार संभाला, न कोई बयान जारी किया, न ट्विटर हैंडल पर दिखाई दिए। बेबाक बयानबाजी के लिए चर्चित सिद्धू ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। सिद्धू के करीबियों से मिली जानकारी के अनुसार, वे बुधवार को सारा दिन चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर ही थे।

आमतौर पर अपनी बात कहने के लिए वे कुछ चुनिंदा पत्रकारों के साथ अपने आवास पर वार्ता करते रहे हैं लेकिन बुधवार को उन्होंने ऐसा नहीं किया। सिद्धू के इस रुख को देखकर माना जा रहा है कि वे पार्टी आलाकमान द्वारा कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनका विवाद सुलझाए जाने के बाद ही नया विभाग संभालने का फैसला लेंगे। आलाकमान ने सीनियर नेता अहमद पटेल को सिद्धू और कैप्टन के बीच सुलह कराने का जिम्मा सौंपा है लेकिन कैप्टन इन दिनों चंडीगढ़ में नहीं हैं और 15 जून के बाद ही वे शहर में लौटेंगे।

नई दिल्ली: बोरवेल में गिरे दो साल के बच्चे फतेहवीर सिंह को मंगलवार सुबह निकाल लिया गया था। बताया जा रहा है कि करीब 110 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बच्चे को बोरवेल से निकाल लिया गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आपको बता दें कि घटना गुरुवार शाम की है जब बच्चा 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। जिले के भगवानपुरा गांव में एक सूखे पड़े बोरवेल को कपड़े से ढंककर छोड़ दिया गया था।

फतेहवीर खेलते वक्त अनजाने में इसी बोरवेल के पास पहुंचा और उसमें गिर गया। शुरुआत में तो मां ने अपनी इकलौती संतान को बचाने की हर कोशिश की, लेकिन नाकाम रही। इसके बाद सूचना पाकर बचाव दल ने काम शुरू किया। बचाव दल रविवार तक बच्चे के करीब पहुंच गया था। लेकिन उसे निकाला नहीं जा सका, क्योंकि कुछ तकनीकी बाधा आ गई थी। अधिकारियों ने बताया कि बच्चे को खाना-पीना तो नहीं दिया गया है, लेकिन ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है।

पठानकोट (पंजाब): जम्मू-कश्मीर के कठुआमें खानाबदोश समुदाय की आठ साल की बच्ची से बलात्कार और फिर उसकी हत्या कर दिए जाने के मामले में एक विशेष अदालत ने सोमवार को छह दोषियों में से तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इन तीनों के नाम सांजी राम, परवेश कुमार और दीपक खुजारिया है। इसके अलावा तीन अन्य को पांच साल की सजा सुनाई गई है। इससे पहले मुख्य आरोपी सांजीराम के बेटे (सातवें आरोपी) विशाल को बरी कर दिया गया। मामले में बंद कमरे में हुई सुनवाई तीन जून को पूरी हुई थी। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।

पंद्रह पृष्ठों के आरोपपत्र के अनुसार, पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गई आठ साल की बच्ची को कठुआ जिले में एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया और उससे दुष्कर्म किया गया। उसे जान से मारने से पहले चार दिन तक बेहोश कर रखा गया। वकीलों ने बताया कि जिस मंदिर में अपराध हुआ था वहां की देखभाल करने वाले सांजी राम, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और एक अन्य आरोपी परवेश कुमार को रणबीर दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश, हत्या, अपहरण, सामूहिक बलात्कार, साक्ष्यों को नष्ट करना, पीड़िता को नशीला पदार्थ खिलाना और साझी मंशा के तहत अपराध को अंजाम देने का दोषी करार दिया गया।

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