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चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद से नवजोत सिद्धू के इस्तीफे के बाद प्रदेश की राजनीति में मची हलचल पर सांसद मनीष तिवारी ने कड़ी टिप्पणी की है। तिवारी ने कहा कि पंजाब के एक सांसद के रूप में वे प्रदेश में होने वाली घटनाओं से बेहद व्यथित हैं। पंजाब में शांति बड़ी मुश्किल से आई है। 25 हजार लोगों ने 1980 से 1995 के बीच उग्रवाद के दौरान पंजाब में शांति वापस लाने के लिए खुद को बलिदान कर दिया। इनमें से ज्यादातर कांग्रेसी थे।
तिवारी ने साफ कहा कि पंजाब में जो कुछ हो रहा है, उससे केवल पाकिस्तान खुश है। सांसद ने कहा कि पंजाब सीमावर्ती राज्य है। यह फिलहाल कृषि कानूनों के खिलाफ लोगों में आक्रोश के कारण कई सामाजिक बदलावों से गुजर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में यदि इस तरह के षड्यंत्र सार्वजनिक होते हैं, तो इसका राज्य की स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुझे ये बात कहने में बिल्कुल भी संकोच नही है कि जिन लोगों को जिम्मेदारी दी गई थी वो पंजाब को समझ नहीं पाए। चुनाव एक पहलू है पर राष्ट्र हित दूसरा पहलू है। पंजाब की राजनीतिक स्थिरता को बहाल करने की जरूरत है।
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चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद नवजाेत सिंह सिद्धू ने बड़ा बयान दिया है। उन्होने एक वीडियो जारी कर कहा कि उनका इस्तीफा पंजाब के हितों व नैतिकता के सवाल पर है। मैं इनसे समझौता नहीं करुंगा। जीवन में अंतिम सांस तक सच्चाई और पंजाब के हितों की लड़ाई लड़ता रहूंगा।
नवजाेत सिंह सिद्धू ने अपने ट्विटर हैंडल पर बुधवार को एक वीडियो डालकर अपने इस्तीफे पर अपना पक्ष रखा। सिद्धू ने कहा कि मेरे लिए पद नहीं सिद्धांत और मकसद अहम है। मैं नैतिकता और पंजाब के हितों से समझौता नहीं सकता। सिद्धू ने कहा कि वह कांग्रेस हाईकमान को गुमराह नहीं कर सकता। मैं ने कांग्रेस नेतृत्व को कोई गुमराह नहीं किया है।
सिद्धू ने कहा कि पंजाब के हित मेरे लिए सबसे ऊपर हैं और मैं उससे समझाैता नहीं कर सकता। उन्होंने पंजाब के नए एडवोकेट जनरल (एजी) और कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जिन लोगाें ने बेदअदबी के लिए दोषी लोगों को सुरक्षा दी और उनके केस लड़े उनकी नियुक्तियां हो रही हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में हालात वही हैं जो कैप्टन अमरिंदर सिंह के समय थे।
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चंडीगढ़: पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में पद की शपथ लेने के महज दो दिन बाद मलेरकोटला की विधायक रजिया सुल्ताना ने मंगलवार को "नवजोत सिंह सिद्धू के साथ एकजुटता दिखाते हुए" इस्तीफा दे दिया, जिन्होंने दिन में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भेजे त्यागपत्र में सुल्ताना ने कहा कि वह ‘नवजोत सिंह सिद्धू के साथ एकजुटता दिखाते हुए' इस्तीफा दे रही हैं।
सुल्ताना को सिद्धू की करीबी माना जाता है. उनके पति मोहम्मद मुस्तफा सिद्धू के प्रधान रणनीतिक सलाहकार हैं जो भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी रह चुके हैं। इससे पहले आज दिन में सुल्ताना को जल आपूर्ति और स्वच्छता, सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास तथा मुद्रण एवं स्टेशनरी विभागों का प्रभार सौंपा गया था। अमरिंदर सिंह नीत सरकार में वह परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रही थीं।
मीडिया से सुल्ताना ने कहा, "सिद्धू साहब सिद्धांतों के व्यक्ति हैं। वह पंजाब और पंजाबियत के लिए लड़ रहे हैं।"
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चडीगढ़: पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच मंगलवार को पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू ने 72 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद से सिद्धू पर सुपर सीएम होने के आरोप लग रहे थे।
पंजाब के भविष्य से समझौता नहीं कर सकता
मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम संबोधित त्यागपत्र में सिद्धू ने लिखा कि समझौता करने से व्यक्ति का चरित्र खत्म हो जाता है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब की जनता के कल्याण के एजेंडा से कभी समझौता नहीं कर सकता हूं। उन्होंने आगे लिखा, इसलिए मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं। मैं कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा। उनके इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर ने अपनी पहली प्रतिक्रिया ट्वीट के माध्यम से दी। उन्होंने लिखा कि मैंने तो पहले ही कहा था कि यह आदमी स्थिर नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए सिद्धू सही नहीं है।
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