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पटियाला: पूर्व क्रिकेटर और पंजाब कांग्रेस चीफ रह चुके नवजोत सिद्धू ने रोडरेज मामले में शुक्रवार शाम को 4 बजे पंजाब के पटियाला जिले में समर्पण कर दिया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके बाद उन्हें आवश्यक मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया। इसके बाद उन्हें पुलिस जीप में बिठाकर जेल ले जाया गया। खास किस्म की पोशाक पहनने वाले सिद्धू कोजेल में सिर्फ सफेद कपड़े ही पहनने होंगे। जेल प्रशासन ने उन्हें अन्य कैदियों की तरह एक नंबर दिया है। जेल में हर कैदी को उसके नाम नहीं कैदी संख्या के लिए जाना जाता है। जेल पहुंचते ही सिद्धू अब कैदी नंबर 241383 हो गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोड रेज के तीन दशक पुराने मामले में एक साल जेल की सजा सुनाई थी। इस घटना में एक शख्स की मौत हो गई थी। एक अन्य वीआईपी शख्सियत और सिद्धू के चिर प्रतिद्वंद्वी अकाली दल के नेता विक्रम सिंह मजीठिया भी उसी जेल में बंद हैं। मजीठिया ड्रग केस में जेल में बंद हैं, वो फरवरी-मार्च में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान सिद्धू के खिलाफ अमृतसर ईस्ट सीट से लड़े थे।

हालांकि दोनों चुनाव हार गए और आम आदमी पार्टी की जीवनजोत कौर ने बड़े मतों से दोनों को हराया था। पंजाब विधानसभा चुनाव में अपनी सीट हारने के बाद से नवजोत सिंह सिद्धू के सितारे गर्दिश में हैं। पहले पीसीसी पद से निकाले गए और कांग्रेस में लगातार उपेक्षा झेल रहे हैं और अब 34 साल पुराने केस में उन्हें जेल की सजा सुनाई गई है।

30 से 90 रुपए प्रतिदिन कमाएंगे सिद्धू

हर दिन लाखों रुपये की कमाई करने वाले सिद्धू अब जेल में सिर्फ 30 से 90 रुपये प्रतिदिन कमा पाएंगे। जेल प्रशासन के नियमों के अनुसार सजायाफ्ता कैदियों को सफेद कपड़े पहनना जरूरी है। इसलिए रंगीन जिंदगी जीने वाले सिद्धू को भी अन्य कैदियों की तरह सफेद कपड़े पहनने होंगे। जेल में हर कैदी को काम करना होता है। क्योंकि सिद्धू अभी अभी ही जेल पहुंचे हैं तो उन्हें शुरुआती तीन महीने काम करने का प्रशिक्षण लेना होगा। उन्हें तीन महीने अवैतनिक काम करना होगा। तीन महीने बाद ही सिद्धू को काम के पैसे मिलने लगेंगे। जिसमें भी वो 30 से 90 रुपए प्रतिदिन कमाने को मिलेंगे।

दरअसल, 27 दिसंबर 1988 को सिद्धू की पटियाला के गुरनाम सिंह नाम के एक शख्स के साथ पार्किंग को लेकर कहासुनी हो गई। सिद्धू और उनके मित्र रुपिंदर सिंह संधू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को उनकी कार से बाहर घसीटा और हमला किया। बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई। एक प्रत्यक्षदर्शी ने आरोप लगाया कि सिद्धू ने पीड़ित के सिर पर मारा। सिद्धू को 1999 में लोकल कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था, लेकिन वर्ष 2006 में हाईकोर्ट ने उन्हें गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी पाया था औऱ तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी। सिद्धू ने इस सजा के खिलाफ अपील की थी, जिसने सजा की अवधि घटा दी औऱ जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने पाया था कि सिद्धू ने किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था।

 

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