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नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर 34 साल पुराने रोडरेज केस में सरेंडर करने के लिए कुछ हफ्तों का समय मांगा है। सिद्धू की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में ये मेंशन किया। इस पर जस्टिस ए एम खानविलकर ने मामले को सीजेआई के सामने मेंशन करने को कहा क्योंकि इसके लिए स्पेशल बेंच का गठन करना होगा।

पंजाब के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि 34 साल का मतलब यह नहीं है कि अपराध मर जाता है। अब फैसला सुनाया गया है, तो उन्हें फिर से 3-4 हफ्ते चाहिए। हालांकि, पंजाब के वकील ने कहा कि समय देने पर विचार करना अदालत का विवेक है। जस्टिस खानविलकर ने सिद्धू के वकील को कहा कि आप अर्जी दाखिल करें और सीजेआई के समक्ष बेंच के गठन के लिए मेंशन करें।

इससे पहले खबर आई थी कि सिद्धू आज (शुक्रवार, 20 मई) पटियाला हाउस कोर्ट में सरेंडर करेंगे। कांग्रेस के कुछ नेता और समर्थक शुक्रवार को सुबह नवजोत सिंह सिद्धू के आवास पर पहुंचे।

जिन्हें 1988 के ‘रोड रेज' मामले में उच्चतम न्यायालय ने एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू को 1988 के रोड रेज मामले में एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि कम सजा देने के लिए किसी भी तरह की सहानुभूति न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान पहुंचाएगी और कानून के प्रभाव को लेकर जनता के विश्वास को कमजोर करेगी।

कांग्रेस नेता ने कल शीर्ष अदालत के फैसले के बाद ट्वीट किया था, ‘‘कानून का सम्मान करूंगा।'' इससे पहले, उन्होंने जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के लिए बृहस्पतिवार को पटियाला में एक हाथी की सवारी की थी।

न्यायालय ने रोड रेज की घटना में सिद्धू को मिली जुर्माने की सजा को बढ़ाकर उसके साथ एक साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई थी। इस घटना में 65 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, सिद्धू और उनके सहयोगी रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में थे। उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए बैंक जा रहे थे। जब वे चौराहे पर पहुंचे तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में पाया और उसमें सवार सिद्धू तथा संधू को इसे हटाने के लिए कहा। इससे दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई। गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई थी।

 

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