कोलकाता: पेगासस मुद्दे पर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि कुछ साल पहले उन्हें भी पेगासस स्पाइवेयर खरीदने का प्रस्ताव मिला था। लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। संवाददाताओं से बात करते हुए ममता ने कहा कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ स्पाईवेयर का इस्तेमाल 'अस्वीकार्य' है। सीएम ने कहा, 'अपनी अपनी मशीनें बेचने के लिए वे हमारे पुलिस विभाग के पास आए थे। पांच साल पहले उन्होंने इसके लिए ₹25 करोड़ मांगे थे। यह प्रस्ताव मेरे पाया आया तो मैंने कहा- नहीं, हम ऐसी मशीनें नहीं खरीदना चाहते।'
ममता ने कहा, 'यदि यह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और सुरक्षा के लिए होता तो अलग बात होती, लेकिन इसका इस्तेमाल सियासी कारणों से किया जाता है, इसका इस्तेमाल अधिकारियों और जजों के खिलाफ किया जाता है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।''
उन्होंने कहा, ''मैं निजता में दखल देने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने में विश्वास नहीं करती, लेकिन कई भाजपा शासित राज्यों ने पेगासस को खरीद लिया था।'
सार्वजनिक, सैन्य और नागरिक अधिकारियों, राजनेताओं, कार्यकर्ताओं, न्यायाधीशों और पत्रकारों के खिलाफ 'अवैध निगरानी' के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किए जाने को लेकर पेगासस बड़े विवाद के केंद्र में रहा है। वर्ष 2019 में मीडिया में आई विभिन्न रिपोर्ट्स में कहा गया था कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में इज़राइल का दौरा किया था, तब पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली, करीब दो बिलियन डॉलर के सौदे के "केंद्र बिंदु" थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि मोदी सरकार ने हमारे प्राथमिक लोकतांत्रिक संस्थानों, राजनेताओं और जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस को खरीदा। सरकारी पदाधिकारियों, विपक्षी नेताओं, सशस्त्र बलों, न्यायपालिका सभी को फोन टैपिंग द्वारा निशाना बनाया गया। यह देशद्रोह है। मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।"
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि स्पाइवेयर का इस्तेमाल राहुल गांधी, एचडी देवेगौड़ा, सिद्धारमैया, एचडी कुमारस्वामी, वसुंधरा राजे, प्रवीण तोगड़िया, स्मृति ईरानी के विशेष कर्तव्य अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, आलोक वर्मा, केके शर्मा, जितेंद्र कुमार ओझा, वकीलों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ किया गया था।