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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान पंडाल का एक हिस्सा गिरने की घटना में केंद्र की जांच टीम ने राज्य सरकार के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। कैबिनेट सचिवालय में सुरक्षा सचिव एस के सिन्हा की अगुवाई वाली समिति ने गृहसचिव राजीव गौबा को अपनी रिपोर्ट सौंपकर सुरक्षा में कोताही की रिपोर्ट दी है। पीएम मोदी की रैली के दौरान करीब 90 लोग घायल हो गए थे, जब शामियाने का एक हिस्सा गिर गया था।

जांच रिपोर्ट में प्रधानमंत्री की रैली के दौरान राज्य सरकार के बड़े अधिकारियों के नदारद रहने सहित कई सवाल उठाए हैं। इसमें शामियाना लगाने में प्रशासनिक संस्तुति के स्तर से लेकर राज्य प्रशासन के असहयोग तक का मामला सामने आया है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन राज्य पुलिस अधिकारियों को व्यवस्था की निगरानी के लिए कार्यक्रम स्थल पर रहना था वे वहां मौजूद नहीं थे।

केंद्र के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कार्यक्रम स्थल पर राज्य सरकार का कोई भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं था। भीड़ को नियंत्रित करने में भी राज्य पुलिस का रवैया सहयोग वाला नहीं रहा। जब लोग शामियाने के एक हिस्से में प्रधानमंत्री को देखने के लिए चढ़ रहे थे तो उन्हें रोकने के लिए कोई पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं था। क्षमता से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम स्थल पर जाने दिया गया। पुलिस ने कोई रोक-टोक नहीं की।

केंद्र के सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री सहित एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों के लिए ब्लू बुक के नियमों का पालन नहीं किया गया। इसके मुताबिक, जिला अधिकारी की निगरानी में पीडब्लूडी विभाग को टेंट सहित अन्य इंतजाम की समीक्षा करनी होती है। जांच रिपोर्ट में इस बात पर सवाल उठाया गया है कि टेंट और स्टेज के निर्माण को कार्यक्रम के पांच दिन पहले स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट कैसे दे दिया गया, जबकि कार्यक्रम के ठीक पहले भारी बारिश हुई थी। मैदान नम व गीला था। स्क्रू पिन और आयरन पाइप का प्रयोग भी नियमों के मुताबिक नहीं किया गया। गौरतलब है कि इस घटना के लिए राज्य प्रशासन पहले ही राज्य भाजपा इकाई और टेंट लगाने वाले के खिलाफ मामला दर्ज कर चुका है।

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