कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार (8 अगस्त) को कहा कि दार्जिलिंग की पहाड़ियों में जारी अनिश्चितकालीन बंद से अब तक राज्य को लगभग 550 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। ममता ने राज्य विधानसभा में कहा, "सरकारी संपत्तियों को क्षति और चाय बागानों, दार्जिलिंग व कलिमपोंग जिलों में पर्यटन एवं परिवहन की बंदी के कारण राजस्व नुकसान सहित कुल अनुमानित नुकसान 550 करोड़ रुपये है।" ममता ने दार्जिलिंग अशांति पर सदन में एक बयान में कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने दार्जिलिंग और कलिमपोंग जिलों में 12 जून, 2017 से अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान कर रखा है और तभी से पहाड़ी की जनता कठिनाइयों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, "जीटीए (गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन) का कार्यकाल खत्म होने से पूर्व जीजेएम का आंदोलन महत्वपूर्ण है।" माकपा विधायक अशोक भट्टाचार्य ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री पर पहाड़ियों में भाषा का मुद्दा उठाने का आरोप लगाया और कहा कि उसी के बाद स्थिति बिगड़ गई। बनर्जी ने ऐसे बयान के लिए माकपा की आलोचना की और इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करने के लिए कांग्रेस की प्रशंसा की।
उन्होंने माकपा पर आरोप लगाया कि वह भाषा के मुद्दे पर सदन को गुमराह कर रही है. बनर्जी की टिप्पणी पर वामपंथी सदस्य बिदक गए और वे सदन से बहिर्गमन कर गए। कांग्रेस विधायक शंकर मलकर ने कहा कि अब समय आ गया है कि सभी राजनीतिक पार्टियां और केंद्र सरकार मिलकर कोई समाधान निकालें। बनर्जी ने कहा कि मुख्य सचिव ने एक बैठक बुलाई थी, लेकिन जीजेए ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। राज्य सरकार इस मुद्दे पर पहाड़ी की राजनीतिक पार्टियों से तभी बात करना चाहती है, जब हिंसा रुक जाए और जारी बंद वापस ले लिया जाए। बनर्जी ने सभी पहाड़ी पार्टियों से अपील की कि वे हिंसा त्याग कर क्षेत्र में शांति बहाल करे, ताकि आम जनता को समस्याओं से छुटकारा मिल सके।