कोलकाता: गोरखालैंड की मांग को लेकर दार्जीलिंग जल रहा है। कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प हो रही है तो कुछ इलाकों में सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। शनिवार की हिंसक झड़प में गोरखा जन मुक्ति मोर्चा ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उनकी फायरिंग में तीन लोगों की मौत हुई है, जिसके विरोध में रविवार को उन्होंने काला दिवस मनाने का फ़ैसला किया है। इसका ऐलान जीजेएमएम प्रमुख बिमल गुरंग ने किया। अपनी योजना के मुताबिक-गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के समर्थक दार्जीलिंग की सड़कों पर काली पट्टी बांध कर चौक बाज़ार में इकट्ठा होंगे। यहां हुई हिंसा में 30 लोग घायल भी हुए हैं। साथ ही हिंसा के बाद प्रशासन ने सख़्त फ़ैसला लिया है। 25 जून तक किसी सार्वजनिक जगह पर तीन से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई है। वहीं शनिवार की हिंसा में एक पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल हो गया था। दार्जीलिंग के बिगड़े हालात पर सूबे की मुखिया ममता बनर्जी ने कहा है यह एक गहरी साज़िश है। एक दिन में इतने हथियार इकट्ठा नहीं हो सकते। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों के आए पर्यटक दार्जीलिंग के अलग-अलग इलाकों में फंसे हैं और इससे हमारे देश की बदनामी हो रही है। उन्होंने कहा, 'मैं अपने प्राण का बलिदान करने के लिए तैयार हूं, लेकिन बंगाल को विभाजित नहीं होने दूंगी। ममता ने कहा, 'इस गुंडागर्दी के पीछे कोई आतंकी दिमाग है। हमें सुराग मिले हैं कि उनके पूर्वोत्तर के भूमिगत विद्रोही समूहों के साथ संबंध हैं।
कुछ दूसरे देश भी उनकी मदद कर रहे हैं। स्थिति को काबू में करने के लिए सेना की टुकड़ियां तैनात की गईं और हिंसाग्रस्त जिले के कई इलाकों में उन्होंने फ्लैग मार्च किया। वहीं, जीजेएम ने पश्चिम बंगाल सरकार के साथ किसी भी तरह की वार्ता से शनिवार को इनकार किया, लेकिन कहा कि वह केंद्र में भाजपा नीत सरकार के साथ वार्ता करने को लेकर 'सहज' है। जीजेएम के नेता बिनय तमांग ने कहा, 'हम पश्चिम बंगाल सरकार के साथ वार्ता करने को तैयार नहीं है। ममता बनर्जी ने हमारा अपमान किया है। उन्होंने हमें आतंकवादी कहा है।' तमांग ने कहा, 'हम अपने अधिकारों और आजादी को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। हम केवल केंद्र सरकार के साथ वार्ता करेंगे। ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस सरकार के साथ वार्ता करने में हमारी दिलचस्पी नहीं है।'