कोलकाता: वक्फ ट्रस्टी बोर्ड ने राष्ट्रविरोधी बयानों के कारण विवादास्पद इमाम मौलाना नूर-उर-रहमान बरकती को टीपू सुल्तान मस्जिद के प्रधान इमाम के पद से हटा दिया है। प्रिंस गुलाम अहमद वक्फ एस्टेट ट्रस्टी आरिफ अहमद ने बुधवार (17 मई) को संवाददाताओं से कहा, ‘हमने उन्हें हटाने का एक नोटिस भेजा है और उनसे उनको दिया गया कार्यालय खाली करने को कहा है। हमने उनके उप इमाम से नमाज कराने को कहा है और हम जल्द नया इमाम नियुक्त करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हमने उनके राष्ट्रविरोधी बयानों के कारण उन्हें इमाम के ओहदे से हटाया है। हम कभी यह उम्मीद नहीं करते कि इमाम, जो कि एक धार्मिक व्यक्ति है, अपनी हद पार करेंगे और अपने पद का दुरुपयोग करेंगे।’ अहमद ने इससे इंकार किया कि बरकती को हटाने का कोई राजनीतिक दबाव था और कहा कि इमाम को उनके आपत्तिजनक बयानों के चलते पहले भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। बरकती ने पिछले सप्ताह यह कहते हुए विवाद छेड़ दिया था कि वह अपनी गाड़ी से लाल बत्ती नहीं हटाएंगे क्योंकि इसका इस्तेमाल करना उनका अधिकार है। कोलकाता के टीपू सुल्तान मस्जिद के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने यह फैसला किया। बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के प्रमुख शाहजादा अनवर अली ने कहा कि देश विरोधी टिप्पणी को देखते हुए बोर्ड ने उन्हें शाही इमाम के पद से हटाने का फैसला किया है।
मस्जिद प्रबंधन का मानना है कि बरकती ने ऐसा बयान देकर मुसलमानों की भावना को ठेस पहुंचाया है। इससे पहले बरकती को कोलकाता प्रशासन ने अपनी कार से लाल बत्ती हटाने को कहा था लेकिन बरकती ने कहा था कि उसने अपनी इच्छा से लाल बत्ती हटाई है और उनपर किसी का कोई दबाव नहीं है। नूरुल इमाम बरकती को 1988 में बतौर इमाम नियुक्त किया गया था। नूरुल बरकती ने लालबत्ती हटाए जाने के सरकारी आदेश की ना सिर्फ नाफरमानी की थी बल्कि आदेश के बाद पीएम मोदी के खिलाफ फतवा भी जारी कर दिया था। बरकती ने आरएसएस ज्वाइन करने वाले मुस्लिमों को पीटने का आह्वान भी किया था। मौलाना बरकती कई बार पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ देखे गये हैं और उन्होंने ये भी कहा था कि ममता बनर्जी ने उनसे अपनी कार से लाल बत्ती नहीं हटाने को कहा है। बरकती के इस रवैये का कई मुस्लिम संगठनों ने भी विरोध किया था। हालांकि शनिवार शाम होते ही बरकती ने अपनी कार से लाल बत्ती हटा ली थी।