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पटना: बिहार विधान सभा में पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को रोद्र रूप में दिखे। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव द्वारा लगाए गए आरोपों पर बोलते हुए नीतीश ने यहां तक कह डाला कि मेरे भाई समान दोस्त का बेटा है इसलिए सुनते रहे हैं। नीतीश पर तेजस्वी ने हत्या के एक मामले में आरोपी होने का स्टैम्प लगाया था, जबकि वो इस मामले में बरी हो चुके हैं।

नीतीश बीच बहस के दौरान तेजस्वी द्वारा लगाए गए आरोपों पर संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी द्वारा वस्तुस्थिति रखने के बाद फिर से दोहराने पर उठ खड़ हुए और कहा, "ये बकवास बोल रहा है अगर इसके आरोपों में दम हैं तो इसके ख़िलाफ़ जांच करवाइये और कारवाई होगी। ये झूठ बोल रहा हैं फिर नीतीश ने कहा कि मेरे भाई समान दोस्त का बेटा हैं इसलिए सुनते रहते हैं हम नहीं कुछ बोलते हैं।" फिर नीतीश ने आवेश में लालू यादव का नाम लिए बिना कहा, "इसके पिता को किसने बनवाया था लोक दल विधायक दल का नेता पता हैं? फिर इसको उप मुख्यमंत्री किसने बनाया था? आरोप लगा तो कहां सफ़ाई दी? जब सफ़ाई नहीं दी तो हमने छोड़ दिया।"

नीतीश ने आगे अपने बारे में लगाये गये आरोपों पर कहा, "कोर्ट का फ़ैसला हैं और हम बर्दाश्त करते रहते हैं कुछ नहीं बोलते हैं।" उसके बाद उन्होंने कहा कि क्यों नहीं एक्सप्लेन किया आज चार्जशीटेड हैं।

इससे पहले तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार हत्या के मामले में भी आरोपी हैं। उन्होंने कॉपी राइट उल्लंघन के एक मामले में 25 हजार रुपये जुर्माना भरने का भी आरोप लगाया। नेता विपक्ष के आरोप पर संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि मर्डर केस को पटना हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर चुकी है और  कोर्ट इन आरोपों पर कड़ी टिप्पणी कर चुकी है। इसके बाद उन्होंने विधान सभा अध्यक्ष से निवेदन किया कि सदन की कार्यवाही से इन आरोपों को बाहर कर दिया जाय।

दरअसल, आरजेडी नेता ने नीतीश कुमार पर 1991 के एक केस का जिक्र करते हुए हमला बोला था। इस केस में नीतीश कुमार को अदालत से क्लीन चिट मिल चुकी है। 

पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री गुस्से में आग बबूला हो गए, लेकिन बहुत लोगों को सच पता नहीं है। मैंने तो यहीं कहा कि 1991 में केस हुआ। 2008 में फैसला आना था परंतु टल गया। 2019-20 में कैसे केस खत्म हो गया। ये सब जानते हैं। इसमें कौन सी बड़ी बात है। तेजस्वी ने कहा कि क्या मुख्यमंत्री रहते हुए एसपी उनके खिलाफ काम करेगा। कोर्ट में तो वहीं मान्य होगा न, जो जांच एजेंसियां रिपोर्ट करेंगी। आप तो मुख्यमंत्री हो, इस्तीफा दे देते और फिर जांच कराते तब न मानते। आपने उस समय तो इस्तीफे की पेशकश नहीं की।

इसके अलावा, तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर चुनावी सभाओं में 9-9 बच्चों वाले बयान को लेकर सदन में हमला बोला। तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी अपनी चुनावी सभाओं में लालू के 9 बच्चों की बात करते थे। कहते थे बेटी पर भरोसा नहीं था, बेटा के लिए 9 बच्चे हुए। क्या नीतीश जी को लड़की पैदा होने का डर था, इसलिए उन्होंने दूसरा बच्चा नहीं पैदा किया?

मामला पटना जिले के पंडारक थाने से जुड़ा है। 1991 में 16 नवंबर को बाढ़ लोकसभा क्षेत्र के मध्यावधि चुनाव के दिन शिक्षक सीता राम सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में कुछ लोग घायल भी हुए थे। प्राथमिकी हत्या के एक दिन बाद दर्ज कराई गई थी। इसमें नीतीश सहित कुल पांच लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। बाद में नीतीश कुमार एवं दुलार चंद्र को आरोप मुक्त कर दिया गया था।

2009 में मृतक के रिश्तेदार अशोक सिंह ने बाढ़ के एसीजेएम की अदालत में परिवाद दाखिल कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और योगेंद्र यादव को अभियुक्त बनाने की मांग की। इसे एसीजेएम ने स्वीकार कर लिया। इस मामले में 15 मार्च 2019 को नीतीश कुमार के पक्ष में पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि पंडारक थाना क्षेत्र के सीता राम सिंह की हत्या के मुकदमे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ क्रिमिनल केस नहीं चलेगा। यह मामला 28 साल पुराना है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी।

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