पटना: बिहार में नए कृषि बिलों के खिलाफ भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिला। चुनावी राज्य में किसानों संगठनों के आव्हान पर बुलाए गये इस बंद के समर्थन में प्रमुख विपक्ष राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और वामपंथी दलों ने ज़िलों में धरने और प्रदर्शन आयोजित किये। इस दौरान भाजपा और पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं की पिटाई घटना भी हुई है।
तेजस्वी बोले- सरकार ने अन्नदाता को बनाया कठपुतली
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने ट्रैक्टर रैली निकालकर प्रदर्शन किया। वे संसद द्वारा पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ बुलाए गए भारत बंद में हिस्सा ले रहे थे। इस मौके पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा, 'सरकार ने हमारे 'अन्नदात' को 'फंड दाता' के माध्यम से कठपुतली बना दिया है। कृषि विधेयक किसान विरोधी हैं और उन्होंने उन्हें उदास कर दिया है। सरकार ने कहा था कि वे 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करेंगे, लेकिन ये विधेयक उन्हें गरीब बना देंगे। कृषि क्षेत्र को निजीकरण कर दिया गया है।'
किसानों ने गांधी सेतु के पास एनएच-19 पर लगाया जाम
बिहार में किसानों का प्रदर्शन सुबह से ही शुरू हो गया। हाजीपुर में बंद का खासा असर दिखाई दे रहा है। प्रदर्शनकारियों ने गांधी सेतु के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-19 पर जाम लगाया और आगजनी की। सड़कों पर टायर जलाकर बंद समर्थक नारेबाजी करते हुए दिखाई दिए। प्रदर्शनकारियों ने गांधी सेतु के पास कृषि विधेयकों के विरोध में बैनर पोस्टर के साथ नारेबाजी की। पप्पू यादव की पार्टी के समर्थकों ने सड़क पर आगजनी की और राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया। जिससे गाड़ियों की रफ्तार थम गई और राजमार्ग पर लंबा जाम लग गया।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने की जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं की पिटाई
पटना में दो गुटों में झड़प हुई। इसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं की पिटाई कर दी। यह घटना तब घटी जब जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यालय में घुसने की कोशिश की।
गया में विरोध प्रदर्शन
बिहार के गया में आज विपक्षी दलों ने नए कृषि सुधार बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। बिहार के गया में आज विपक्षी दलों ने नए कृषि सुधार बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन पर आरजेडी जिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम किसान विरोधी कानूनों का विरोध कर रहे हैं जिसे केंद्र सरकार द्वारा लाया गया है। उन्होंने कहा कि इससे केवल निगमों को फायदा होगा और सभी मंडियां बंद हो जाएगी। कार्यकर्ताओं ने कहा कि जल्द से जल्द इस बिल को निरस्त किया जाना चाहिए।
राजद कार्यकर्ताओं ने विधेयक के खिलाफ की भैंस की सवारी
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कार्यकर्ताओं ने दरभंगा में कृषि विधेयकों के खिलाफ भैंस की सवारी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
वामदलों ने 25 राज्यों में किया 'भारत बंद' का समर्थन
संसद में प्रपंच से पारित किसान विरोधी विधेयक वापस लो, कॉर्पोरेट भगाओ किसानी बचाओ, खेत-खेती किसान बचाओ, कॉर्पोरेट लूट का राज भगाओ, कर्ज मुक्ति पूरा दाम नहीं तो होगा चक्का जाम आदि गगनभेदी नारा लगाते हुए 25 राज्यों में लगभग 4400 बड़े शहरों और कस्बों में किसानों ने विभिन्न जन संगठनों का झंडा बैनर हाथ में लेकर देशव्यापी प्रतिरोध सड़क जाम और बंद आयोजित किया। देश के 130 प्रमुख राष्ट्रीय राज्य राजमार्गों पर इस आंदोलन के कारण सड़क जाम रहा। कई राज्यों में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चलाई फिर भी किसान सत्याग्रही, प्रदर्शनकारी अपनी जगह डटे रहे।
यह जानकारी देते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार "अनजान" ने कहा कि भाजपा सरकार 2014 में यह कहकर सत्ता में आई थी की स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को लागू करेगी। नारा दिया किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति होगी, बिजली माफ होगी, कृषि लागत दर एक चौथाई कर दी जाएगी। यह सब उन्होंने अपने घोषणापत्र में कहा। लेकिन में केंद्र सरकार में आते ही सबसे पहले जमीन हड़पने के लिए 2013 संसद में पारित किसान समर्थक भूमि अधिग्रहण बिल को समाप्त करने के लिए अध्यादेश लाई। अब खेती हड़पने के लिए मोदी सरकार तीन काला कानून लेकर आई है।
उन्होंने कहा, खेत एवं खलिहान, खदान को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का यह घिनौना षड्यंत्र सरकार द्वारा रचा जा रह रहा है। इससे करोड़ों किसानों, मजदूरों ३0000 आढतियों को खत्म कर 2 या 4 देसी विदेशी- धन्ना सेठों को लूटने की आजादी देने की साजिश का यह दस्तावेज संसद से पारित कराया गया है। किसानों को कर्ज मुक्ति, सी-2 के आधार पर लागत का डेढ़ गुना दाम देने के अपने चुनावी वादों को पूरा करने के बजाए, किसान और उनके पैदावार को ही कॉर्पोरेट के हवाले करने का मानो मोदी जी की सरकार ने मन बना लिया है।
अतुल कुमार अनजान ने आगे कहा कि राज्यों की भाजपा सरकारों को केंद्र की मोदी सरकार पर पर दबाव डालना चाहिए कि कृषि विरोधी काला कानून, कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, मूल्य आश्वस्ती (बंदोबस्ती एवं सुरक्षा) कृषि सेवा विधेयक, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन विधेयक तथा बिजली बिल में संशोधन विधेयक तत्काल वापस लिया जाए।
लाखों-लाख किसानों ने काले कानूनों की होली जलाकर प्रतिरोध दर्ज करा दिया है। अगर केंद्र की सरकार इस पर भी संज्ञान नहीं लेती है तो शीघ्र ही विभिन्न राज्यों से देश के किसान और उसके समर्थक ग्रामीण जन देश के संसद पर कूच करेंगे। देश भर में किसान आमरण अनशन की भी तैयारी करेंगे।