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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक फोन कॉल के बाद शरद यादव की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में लौटने की अटकलें तेज हो गई हैं। दरअसल, एम्स में इलाज करा रहे जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को डॉक्टरों ने रविवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। इसी के बाद बिहार सीएम ने उनके परिवार वालों को एक शिष्टाचार कॉल की और उनका हालचाल जाना। तभी से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि शरद यादव एक बार फिर से जेडीयू में लौटेंगे।

ठीक तीन साल पहले यानी अगस्त 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण शरद यादव को जेडीयू से निकाल दिया गया था। इसी के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) का गठन किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे महागठबंधन का हिस्सा थे और इसी के बैनर तले मधेपुरा से चुनाव भी लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। एलजेडी के महासचिव अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि यह सच है कि नीतीश कुमार जी ने शरद यादव को फोन किया था, लेकिन यह उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ के लिए था।

हालांकि श्रीवास्तव यह कहना नहीं भूले कि राजनीति में कुछ भी संभव है। उन्होंने आगे कहा कि नीतीशजी हमारे नेता रहे हैं और हमने लंबे समय तक एक साथ काम किया है।

महागठबंधन में उपेक्षित महसूस कर रहे थे शरद यादव

शरद यादव जब बीमार पड़े तो जेडीयू के तमाम नेताओं ने उनसे संपर्क किया और हालचाल जाना। इसी के बाद अफवाहों का बाजार गर्म हो गया कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उनकी फिर से जेडीयू में वापसी होगी। शरद यादव के पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, अन्य दलों की तरह ही वे महागठबंधन में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। इन्हीं वजहों से हाल ही में जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से खुद को अलग कर लिया था।

'उनके आने से एनडीए मजबूत होगा'

शरद यादव के पार्टी में शामिल होनी की अटकलों के बीच जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि अगर वह पार्टी में शामिल होते हैं तो यह निश्चित रूप से एक अच्छा कदम होगा। वहीं बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव ने कहा कि शरद यादव के आने से एनडीए और मजबूत होगा। हालांकि जेडीयू में एक ऐसा वर्ग भी है जो अलग सोच रखता है। नाम न छापने की शर्त पर एक जेडीयू नेता ने कहा कि उनके पास आधार नहीं है। अगर वे पार्टी में शामिल होते हैं तो आगामी चुनाव में उनके उम्मीदवारों को टिकट देने में मुश्किल आएगी।

इस पूरे मुद्दे को आरजेडी एक प्रोपागेंडा के रूप में देख रही है। पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि जेडीयू हताशा में है और वे एक नेता से दूसरे नेता के दरवाजे पर जाकर उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए कह रहे हैं।

महागठबंधन के साथ 2015 में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नीतीश कुमार बाद में फिर से बीजेपी के साथ आकर सरकार बना लिए थे। शरद यादव ने नीतीश कुमार के इस फैसले को सार्वजनिक तौर पर अस्वीकार कर दिया था। इस घटना के बाद जेडीयू ने 2017 में शरद यादव को राज्यसभा में पार्टी के नेता पद से हटा दिया था।

 

 

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