पटना: केंद्रीय मंत्री एवं लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर राजग की जीत का दावा करते हुए शनिवार को कहा कि कई स्थानों पर महागठबंधन ने ऐसे उम्मीदवार दिये हैं जो राजग के लिए वरदान साबित होंगे। पासवान ने पटना स्थित लोजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर राजग की जीत का दावा करते हुए कहा कि कई स्थानों पर महागठबंधन ने ऐसे उम्मीदवार दिये हैं जो हमलोगों के लिए वरदान साबित होंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बहुत शानदार तरीके से चल रही है। हम लोग जाति और धर्म के आधार पर नहीं बल्कि धर्मनिर्पेक्षता के आधार पर काम करते हैं। चाहे अल्पसंख्यकों से जुडा मामला हो, सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दस प्रतिशत आरक्षण का मामला हो, दलित उत्पीड़न से जुडे अधिनियम का मामला हो या पिछड़ी जाति के आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग हो, इसको लेकर हम संघर्ष कर रहे हैं। रामविलास पासवान ने कहा कि धारा 370 का मामला हो या देश की सुरक्षा और एकता का मामला हो, हम सब एक हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामजन्म भूमि को लेकर राजग के घटक दलों लोजपा और जदयू की उच्चतम न्यायालय के फैसले को माने जाने की राय को माना। चुनाव आयोग ने भी कहा कि इस मुद्दे को लेकर कोई चुनाव में नहीं जाए। हमारी सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में विकास का काम कर रही है।
पासवान ने कहा कि वे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने बिहार में अल्पसंख्यक समुदाय से मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की थी, लेकिन किसी ने उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक सबसे अधिक संख्या में हैं लेकिन आजादी के बाद आजतक, जो लोग महागठबंधन की बात करते हैं कभी किसी अल्पसंख्यक को मुख्यमंत्री पद पर आसीन नहीं किया। आज भी हिम्मत है तो अखिलेश यादव और मायावती घोषणा करें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने पर हमारा अगला मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक समुदाय से होगा। नहीं कर सकते हैं। सब अपना अपना हित साधने में लगे हुए लेकिन मुसलमान का वोट उन्हें चाहिए। लोग सबकुछ समझ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जबसे राजग में नीतीश कुमार आएं हैं उनका आत्मबल बढ़ा है। केंद्र और बिहार दोनों जगह राजग की सरकार है। पिछले डेढ़ साल में बिहार में जितना तेज गति से विकास हुआ यदि इनके साथ राजद के लोग होते तो इसका 100वां हिस्सा भी वे नहीं कर पाते। पासवान ने अपने स्थान पर हाजीपुर से लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाए जाने पर सफाई देते हुए कहा कि पार्टी ने पहले ही निर्णय ले लिया था कि हम लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि इस साल मुझे राजनीति में कदम रखे 50 साल पूरे हो गए। 1959 में अलौली से विधायक बने थे।
उन्होंने कहा कि केंद्र में मंत्री रहते और पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के कारण अपनी बढ़ी हुई जिम्मेदारी को भी ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया। रामविलास ने विपक्ष के परिवारवाद का आरोप लगाए जाने तथा अपने ससंदीय क्षेत्र से किसी अन्य को नहीं बल्कि अपने भाई पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाए जाने पर कहा कि उक्त क्षेत्र की जनता को मेरे अलावा कोई अन्य बाहरी उम्मीदवार स्वीकार नहीं था। ऐसे में मेरे चुनाव नहीं लडने के निर्णय के बाद पारस को इसके लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने अपनी भाभी (रामविलास की पत्नी) को उम्मीदवार बनाने को कहा। हालांकि उनके इससे इनकार कर देने पर अंत में पार्टी ने पारस के बारे में निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि जबसे लोजपा की स्थापना हुई है पशुपति इस दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं और बिहार में उनके नेतृत्व में पार्टी जड़ से ऊपर तक मजबूत हुई। लोजपा ने रामविलास पासवान के छोटे भाई रामचंद्र पासवान को समस्तीपुर से और पुत्र चिराग पासवान को जमुई से उम्मीदवार बनाया है।