नई दिल्ली: बिहार में एनडीए गठबंधन में खींचतान खत्म हो गई है। यहां बिहार लोकसभा चुनाव के लिए पार्टियों की सीटों के लिए गणित साफ हो चुका है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के घर रविवार को जदयू, लोजपा नेताओं के साथ बैठक की गई। बैठक के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों पार्टियों में सीटों के बंटावरे को लेकर एलान किया गया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इसका एलान करते हुए कहा कि बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 17 पर भाजपा, 17 पर जदयू और छह पर लोक जनशक्ति पार्टी चुनाव लड़ेगी। हालांकि, किस पार्टी को कौनसी सीट दी जाएगी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर तीनों दलों के नेता एक बार फिर साथ बैठकर चर्चा करेंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार ने कहा, 'अब तय हो गया है कि हम सब मिलकर काम करेंगे और किसी भी मुद्दे पर बैठकर बात करेंगे। राम विलास पासवान राज्यसभा जाएंगे। जहां भी पहले चुनाव होगा, वहीं से उन्हें राज्य सभा भेजा जाएगा। भाजपा का धन्यवाद कि उन्होंने पासवान की इच्छा का ध्यान रखा। 2009 में भाजपा और जेडीयू का गठबंधन था, तब पूरे देश में सिर्फ बिहार में ही एनडीए को 40 में से 32 सीटें मिली थी। इस बार उम्मीद है कि 2014 से ही नहीं बल्कि 2009 से भी बेहतर नतीजे आएंगे।'
वहीं रामविलास पासवान ने कहा कि अमित शाह, नीतीश कुमार और अरुण जेटली का धन्यवाद। हमें समझौता सम्मानजनक होने की उम्मीद थी।
इस समझौते से लोजपा को फायदा पहुंचा है। पार्टी को कम सीटें मिलने के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन गठबंधन से उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्त्व वाली रालोसपा के निकलने के बाद मौके का फायदा उठाते हुये लोजपा अपने तेवर कड़ा करते हुये भाजपा के साथ बेहतर सौदा करने में कामयाब रही, जिसके चलते उन्हें छह सीट मिल गयी।
नीतीश कुमार भी भगवा पार्टी को अपनी महत्ता समझाने में कामयाब रहे , जिसका नतीजा यह हुआ कि बिहार में अब उनको भाजपा के बराबर खड़ा होने का मौका मिल गया, उनकी झोली में कुछ वे सीटें भी आ गयी हैं, जिसपर 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा को अब जीती हुई अपनी 22 सीटों में से कम-से-कम पांच सीटों को जदयू के लिए छोड़ना पड़ेगा। जद (यू) ने 2014 में अकेले चुनाव लड़ा था और सिर्फ दो सीटों पर ही जीत मिल पायी थी, जबकि लोजपा ने छह सीट अपने नाम की थी।
शाह ने कहा कि गठबंधन में शामिल सभी दल जल्द ही लोकसभा क्षेत्रों के बंटवारे पर निर्णय लेंगे। यहां से पार्टियां 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों को उतारेगी।
रविवार को इस मौके पर राम विलास पासवान ने कहा कि गठबंधन में कभी कोई समस्या नहीं थी, वे मोदी के नेतृत्व में पांच सालों से ‘‘राजग के पेड़’’ को सींच रहे हैं व उसको मजबूत बनाया है। उन्होंने कहा कि देश में फिर से मोदी के नेतृत्व में सरकार बनेगी। दलित नेता ने अपनी पार्टी और भाजपा के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभाने वाले केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का भी धन्यवाद किया।
सीट बंटवारे से खुश नजर आने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस अवसर पर कहा कि 2009 में जब परिणाम राजग के खिलाफ थे तब भी बिहार में राजग को 40 में से 32 सीटें मिली थी। उन्होंने कहा, ‘‘इस बार तो हम उससे भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे।’’
उधर, शनिवार को दिल्ली में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गतिविधियां दिनभर बनी रहीं। दोपहर में वे 5 अशोका रोड में अंजनी कुमार सिंह की पुत्री अपूर्वा सृष्टि के शादी समारोह में शामिल हुए। शाम को अपने सरकारी आवास 6, कामराज लेन पर उन्होंने राजस्थान और नार्थ-इस्ट के राज्यों से आए जदयू के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। जदयू प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह, संजय झा, केसी त्यागी और आफाक अहमद आदि संग विचार-विमर्श भी किया।