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नई दिल्ली/इंफाल: पिछले डेढ़ साल से हिंसा की आग में चल रहे मणिपुर में फिर एक बार तनाव बढ़ गया है। उग्र और हिंसक प्रदर्शन का दौर जारी है। यहां के कई इलाकों में बवाल का सिलसिला जारी है। यह वजह है कि सरकार ने यहां कई इलाकों में कर्फ्यू लगा रखा है। कई जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं।

केंद्र सरकार यहां हालात कंट्रोल करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। पिछले दिनों यहां सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ाई गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई बड़े फैसले भी लिए, लेकिन हालात अब भी बेकाबू नजर आ रहे हैं। आइए मणिपुर के मौजूदा हालात पर एक नज़र डालते है।

मणिपुर के कई इलाके फिर हिंसा की चपेट में

मणिपुर के मौजूदा हालात एक बार फिर पहले जैसे हैं। राज्य के कई इलाके हिंसा की चपेट में हैं। एक तरफ कुकी समुदाय के लोग अपनी मांग को लेकर हिंसा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ मैतेई समुदाय एक ही परिवार के छह लोगों की हत्या के विरोध में सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सड़कों पर है।

इंफाल: मणिपुर फिर से हिंसा की आग में जल रहा है। यहां उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के मुठभेड़ के बाद जिरीबाम में 6 लोगों के अपहरण और उनकी लाश मिलने के बाद से भीड़ हिंसक हो गई है। कई मंत्रियों के घरों पर हमले हो चुके हैं। प्रदर्शनकारियों ने सीएम के घर पर भी हमला करने की कोशिश की थी।

कुकी उग्रवादियों की ओर से एक ही परिवार के 6 लोगों की नृशंस हत्या के बाद नाराज मैतेई समुदाय के लोग सड़क पर उतर आए हैं। लगातार हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कुकी समुदाय 11 नवंबर की मुठभेड़ को फर्जी बता रहा है। इन लोगों का कहना है कि वह उनके शवों का अंतिम संस्कार पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही करेंगे। कुकी समुदाय का कहना है कि उन्हें शक है कि सुरक्षाबलों ने उन्हें पकड़कर मारा है।

मणिपुर के मौजूदा हालात एक बार फिर पहले जैसे हैं। राज्य के कई इलाके हिंसा की चपेट में हैं। एक तरफ कुकी समुदाय के लोग अपनी मांग को लेकर हिंसा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ मैतेई समुदाय एक ही परिवार के छह लोगों की हत्या के विरोध में सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सड़कों पर है।

नई दिल्ली: एनपीपी ने बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। मणिपुर में हिंसा के मद्देनजर एनपीपी ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद भी सरकार सुरक्षित है, क्योंकि मणिपुर में एनपीपी भाजपा के साथ गठबंधन में नहीं थी। चुनाव के बाद उसने बाहर से समर्थन दिया था।

एनपीपी का कहना है कि मुख्यमंत्री प्रदेश में संकट का हल निकालने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। एक सहयोगी, चाहे वो छोटा ही क्यों न हो संख्या बल के तौर पर नहीं तो नैतिक महत्व तो है ही। 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के सात सदस्य हैं।

भाजपा के पास वर्तमान में अपने दम पर 37 सीटें हैं, जो बहुमत के आधे आंकड़े 31 से काफी अधिक है। इसमें जनता दल (यूनाइटेड) के पांच विधायक भी शामिल हैं, जो 2022 के अंत में भाजपा में शामिल हुए थे। इसके अतिरिक्त, भाजपा को नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के पांच विधायकों, जेडीयू के एक विधायक और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): मणिपुर में एक बार हिंसा भड़कने और हालात बेकाबू होते ही केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए डीजी सीआरपीएफ अनीश दयाल मणिपुर रवाना हो गए हैं। वह वहां पर कानून व्यवस्था की समीक्षा करेंगे। उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में अपनी सभी रैलियां रद्द कर दीं। वे नागपुर से दिल्ली लौट आए हैं।

सूत्रों के अनुसार, राज्य में कानून व्यवस्था कायम करने के लिए सुरक्षा बलों और राज्य पुलिस नए सिरे से रणनीति बना रही है। मणिपुर के कुछ इलाकों में जहां पर कर्फ्यू में ढील दी गई थी। वहां दोबारा कर्फ्यू लगाया गया है। कुछ इलाकों में इंटरनेट की सेवा भी सस्पेंड की गई है। मणिपुर के कुछ इलाकों में एक बार फिर से तनाव की लगातार खबरें सामने आ रही हैं। बिश्नुपुर, इंफाल, जीरिबीम इलाकों में ज्यादा तनाव है। ऐसे में यहां भी फिर से कर्फ्यू लगाया गया है।

गौरतलब है कि मणिपुर की ताजा हिंसा जिरीबाम में पिछले मंगलवार को अगवा किए गए एक ही परिवार की तीन महिलाओं और तीन बच्चों के शव शनिवार को असम-मणिपुर सीमा पर बरामद होने के बाद शुरू हुई है।

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