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इंफाल: मणिपुर में 2024 का साल उथल-पुथल भरा रहा। घाटी में मेइती समुदाय और पर्वतीय क्षेत्रों में कुकी जनजातीय समुदायों के बीच टकराव 2024 में और गहरा गया, जिससे व्यापक जनहानि, हिंसा, भीड़ के हमले और आम नागरिकों वाले क्षेत्रों में ड्रोन हमले हुए।

बीते वर्ष मणिपुर से शांति रही कोसों दूर, लोगों में निरंतर भय व्याप्त

कभी अपनी सांस्कृतिक सद्भावना के लिए जाना जाने वाला राज्य अब गहराते विभाजन का सामना कर रहा है, हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं और समुदाय निरंतर भय में जी रहे हैं, जबकि तनाव कम होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है और बीते वर्ष राज्य से शांति कोसों दूर रही। वर्ष 2024 की शुरुआत हिंसक घटना से हुई, जब एक जनवरी को थौबल जिले में प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कार्यकर्ताओं ने चार ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना अवैध मादक पदार्थ व्यापार से एकत्रित धन को लेकर हुए विवाद से जुड़ी थी, जिसके कारण राज्य सरकार ने घाटी के सभी पांच जिलों में निषेधाज्ञा लागू कर दी।

एक महीने बाद, हथियारबंद बदमाशों ने इंफाल ईस्ट जिले के वांगखेई टोकपाम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी)मोइरंगथेम अमित सिंह के आवास पर धावा बोला और उनकी संपत्ति में तोड़फोड़ की। घटना के दौरान एएसपी और उनके एक साथी को हथियारबंद बदमाशों ने अगवा कर लिया और बाद में उन्हें घटनास्थल से करीब पांच किलोमीटर दूर इंफाल वेस्ट जिले के क्वाकेथेल कोनजेंग लेइकाई इलाके से छुड़ाया गया।

अप्रैल में कुकी-जो और मेइती समुदायों के बीच तीव्र जातीय तनाव की पृष्ठभूमि में लोकसभा चुनाव हुए। दूसरे चरण का चुनाव शांतिपूर्ण रहा, जबकि पहले चरण में व्यापक हिंसा हुई।

मणिपुर में जातीय हिंसा पहले इंफाल घाटी और आस-पास के जिलों चुराचांदपुर और कांगपोकपी तथा टेंग्नौपाल जिले के मोरेह सीमावर्ती शहर तक ही सीमित थी, लेकिन जून में असम की सीमा से लगे जिरीबाम जिले में एक व्यक्ति के मृत पाए जाने पर हिंसा ने नया मोड़ ले लिया।

पहले कभी शांत रहे इस जिले में कई समुदाय के लोग रहते थे। लेकिन संबंधित समुदायों के हथियारबंद समूहों द्वारा की गई गोलीबारी के बाद 1,000 से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो गए।

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