भोपाल: मध्य प्रदेश के गुना-शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया के ख़िलाफ़ खड़े बीएसपी उम्मीदवार लोकेंद्र सिंह राजपूत कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। शनिवार को गुना में मायावती रैली करने वाली हैं। बसपा के लिए ये एक बड़ा झटका है और ज़ाहिर है सिंधिया को इस से फ़ायदा होगा। लोकेंद्र सिंह राजपूत ने सिंधिया की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ली। ज्योतिरादित्य सिंधिया इस सीट से 4 बार चुनाव जीत चुके हैं। उनका मुकाबला भाजपा के केपी यादव से हैं, केपी यादव भी पहले सिंधिया के क़रीबी हुआ करते थे।
आपको बता दें कि बसपा नेता को कांग्रेस में शामिल करने के फैसले पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस के बीच खटास और बढ़ सकती है क्योंकि एक तो मायावती मध्य प्रदेश में गठबंधन को लेकर कांग्रेस के रवैये से खासे नाराज हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में दलितों के बीच प्रियंका गांधी के पैठ बनाने की कोशिशों के चलते उन्होंने महागठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं होने दिया। रैलियों में भी मायावती भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस पर जमकर प्रहार कर रही हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं है कि कांग्रेस ने मायावती को झटका दिया है।
उत्तर प्रदेश में बसपा के कद्दावर नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दिकी को कांग्रेस ने बिजनौर लोकसभा सीट से उतार दिया। इतना ही नहीं यूपी में दलित नेता के तौर पर उभरने की कोशिश कर रहे भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर से प्रियंका गांधी ने मुलाकात की। यह बात भी मायावती को नागवार गुजरी। दूसरी ओर जब प्रियंका गांधी को जब कांग्रेस की महासचिव बनाई गईं तो उनकी टीम ने उत्तर प्रदेश में उनकी सीटों पर फोकस करना जिनमें दलित की संख्या अच्छी-खासी है। दलित वोटर कभी कांग्रेस का कोर वोटर हुआ करते थे।
कांग्रेस का मानना है कि इस लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जितनी ही सीटें मिल जाएं वहीं बहुत हैं। पार्टी दलित और सवर्णों को अपने पाले में कर राज्य के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। इसमें प्रियंका चेहरा बन जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। कुल मिलाकर ऐसा लग रहा है कि आने वाले दौर में कांग्रेस और बसपा के बीच दलित वोटरों को लेकर राजनीति और तेज सकती है।