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मुंबई: बेहद महत्वपूर्ण बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (बीएमसी) समेत महाराष्ट्र के 10 नगर निकायों के चुनाव के लिए मंगलवार को करीब 56 प्रतिशत मतदान हुआ। बीएमसी चुनाव में 55 प्रतिशत मतदान हुआ जो पिछली बार से करीब दस प्रतिशत अधिक है। चुनाव अधिकारियों ने कहा कि राज्य की 11 जिला परिषदों एवं 118 पंचायत समिति के चुनाव में 69 प्रतिशत मतदान हुआ। पूरे राज्य के 43,160 मतदान केंद्रों पर सुबह साढ़े सात बजे मतदान शुरू हुआ। मुंबई में दिन चढ़ने के साथ मतदान में तेजी आयी और कई नेता, फिल्मी हस्तियां एवं उद्योगपति अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए घरों से निकले। मुंबई में 2012 की तुलना में शानदार मतदान होने से भाजपा नेता खुश हैं क्योंकि पार्टी राज्य सरकार में अपनी गठबंधन सहयोगी शिवसेना से देश के सबसे धनी नगर निगम का नियंत्रण छीनने की पुरजोर कोशिश कर रही है। महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने देर शाम (मुंबई के अलावा) नौ नगर निगमों में मतदान का प्रारंभिक आंकड़ा जारी किया जो इस तरह है - ठाणे (58 प्रतिशत), उल्हासनगर (48 प्रतिशत), (पुणे 54 प्रतिशत), पिंपड़ी-चिंचवाड (67 प्रतिशत), सोलापुर (60 प्रतिशत), नासिक (60 प्रतिशत), अकोला (56 प्रतिशत), अमरावती (55 प्रतिशत) और नागपुर (53 प्रतिशत)। ग्रामीण क्षेत्रों में जिला परिषद चुनाव में शहरों की तुलना में बेहतर मतदान हुआ। जिला परिषद चुनाव में मतदान का जिला वार प्रतिशत इस तरह है - रायगढ़ (71), रत्नागिरी (64), सिंधुदुर्ग (70), नासिक (68), पुणे (70), सतारा (70), सांगली (65), सोलापुर (68), कोल्हापुर (70), अमरावती (67) और गढ़चिरौली (68)। जिला परिषद चुनाव में औसत मतदान 69.43 प्रतिशत रहा।
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मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा, ‘चुनाव के दिनों में भाजपा सामना अखबार का प्रकाशन स्थगित किए जाने के पक्ष में नहीं है’ लेकिन पार्टी को उसमें प्रकाशित कुछ सामग्री पर आपत्ति है। भाजपा की एक पदाधिकारी द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग से शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के प्रकाशन पर तीन दिन की रोक की मांग के बाद, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने इस स्थिति की तुलना ‘आपातकाल’ से की थी। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने राज्य निर्वाचन आयोग को लिखे खत में कहा कि ‘चुनाव की तारीख से दो दिन पहले सामग्री का प्रकाशन या प्रचार अभियान चलाना (पार्टी या उम्मीदवार का)’ प्रतिबंधित है, इसलिए 16,20 और 21 फरवरी को ‘सामना’ के प्रकाशन पर प्रतिबंध होना चाहिए। इस मुद्दे पर अपनी राय पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा, ‘16 फरवरी को हुए पहले चरण के मतदान (जिला परिषद चुनाव) के दौरान ‘सामना’ अखबार में एक आपत्तिजनक सामग्री छपी थी। हमें ऐसी सामग्री के प्रकाशन पर आपत्ति है क्योंकि इससे (आदर्श) आचार संहिता का उल्लंघन होता है। और हमारी राज्य निर्वाचन आयोग से मांग है कि वो सामना को मतदान के दिन ऐसी सामग्री के प्रकाशन की इजाजत न दे।’
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पुणे: चुनावी प्रचार में नेताओं के लिए भीड़ ऑक्सीजन की तरह होता है और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने यहां एक जनसभा में खाली कुर्सियों को देख कर अपनी रैली रद्द कर दी। फडणवीस को पुणे नगर निगम चुनाव के वास्ते अपने प्रचार अभियान के अंतिम चरण के तहत तिलक रोड पर न्यू इंग्लिश स्कूल ग्राउंड में चुनाव रैली को संबोधित करना था। मतदान 21 फरवरी को है। निर्धारित समय दो बजे सभास्थल पर पहुंचने पर उन्होंने पाया कि रैली में बहुत कम लोग पहुंचे हैं और ज्यादातर कुर्सियां खाली हैं। उन्होंने कुछ देर लोगों के एकत्र होने की प्रतीक्षा की और उसके बाद रैली को बिना संबोधित किये हुये रवाना हो गये। महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनावों में भाजपा के प्रचार अभियान की अगुवाई करने वाले फड़णवीस फिर, वह समीप के पिंपरी चिंचवाड इलाके के लिए रवाना हो गए जहां उन्हें एक और चुनावी सभा को संबोधित करना था। उन्होंने बाद में ट्वीट किया, ‘मैंने रैली के समय के बारे में गलतफहमी के चलते अपनी जनसभा रद्द कर दी है। मुझे उसका अफसोस है।
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मुंबई: राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा कि यदि महाराष्ट्र में भाजपा सरकार अल्पमत में आ जाती है तो उनकी पार्टी उसे नहीं उबारेगी और उन्होंने शिवसेना को समर्थन वापस लेने की चुनौती दी। पवार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम राज्यपाल को इस बात का पत्र देने को तैयार हैं कि यदि शिवसेना देवेंद्र फड़णवीस सरकार से समर्थन वापस लेती है तो राकांपा उसका समर्थन नहीं करेगी। लेकिन उद्धव ठाकरे को पहले फड़णवीस सरकार से समर्थन वापस लेते हुए राज्यपाल को पत्र देना चाहिए और उस पत्र को सार्वजनिक भी करना चाहिए।’ उद्धव ठाकरे के इस बयान पर कि राकांपा जब कहती है कि यदि शिवसेना समर्थन वापस लेगी तो वह भाजपा का समर्थन नहीं करेगी, उन्हें उस पर यकीन नहीं होता, पवार ने कहा कि उन्हें उनसे विश्वास के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। नगर निकाय चुनाव के सिलसिले में भाजपा से नाता तोड़ चुके उद्धव ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार में बने रहने के विषय पर वह 23 फरवरी को नगर निकाय चुनाव नतीजे आ जाने के बाद फैसला करेंगे। मराठा क्षत्रप ने कहा कि दो साल पहले उनकी पार्टी ने भाजपा (जिसने अधिकतम सीटें जीती थी) के लिए समर्थन की घोषणा इसलिए की थी कि क्योंकि किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था और राकांपा विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद अस्थिरता नहीं चाहती थी।
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