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नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बैंच बुधवार को शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिका पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच विवाद से संबंधित मामले की सुनवाई करेगी। शिवसेना सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र में तब तक राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अपना फैसला नहीं दे देती।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के पतन के बाद एकनाथ शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर कोई फैसला नहीं करने को कहा था। महाराष्ट्र विधानमंडल सचिव राजेंद्र भागवत ने शिवसेना के 53 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को चालीस नोटिस भेजे गए और अन्य 13 नोटिस उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को भेजे गए।

दोनों ही समूहों ने विरोधी गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।

सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में नई मंत्रिपरिषद का गठन 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बाद हो सकता है। महाराष्ट्र कैबिनेट में वर्तमान में केवल दो सदस्य हैं। इनमें से एक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं और दूसरे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं।

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