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मुंबई: महाराष्ट्र में राज्यसभा के बाद सोमवार को विधान परिषद चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी औऱ सत्तारूढ़ शिवसेना आमने-सामने हैं। खास बात है कि राज्यसभा चुनाव में शिवसेना को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार पार्टी जीत का दावा कर रही है। वहीं, शिवसेना ने महाविकास अघाड़ी में फूट की बात से भी इंकार किया है।

विधान परिषद चुनाव को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। दोनों दलों ने शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ बैठक की थी। खास बात है कि पार्टियों ने दल बदल की संभावनाओं से बचने के लिए विधायकों को अलग-अलग होटल में ठहराया है।

रविवार को सीएम ठाकरे ने भरोसा जताया है कि एमवीए में कोई फूट नहीं है। साथ ही उन्होंने क्रॉस वोटिंग की संभावनाओं से भी इंकार किया। उन्होंने कहा, 'राज्यसभा की हार दुर्भाग्यपूर्ण थी। शिवसेना के वोट राज्यसभा में नहीं बटे थे। हमें पता है कि क्या गलत हुआ। एमएलसी चुनाव दिखाएंगे कि हमारे बीच कोई फूट नहीं है।'

क्या है महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव का गणित

महाराष्ट्र विधान परिषद की 10 सीटों पर चुनाव होने हैं, जिनपर 11 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। एक ओर जहां एमवीए के तीनों दलों ने 2-2 उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, भाजपा के पांच उम्मीदवार तैयार हैं। खास बात है कि राज्य विधानसभा में मौजूदा संख्या को देखते हुए 9 उम्मीदवारों की जीत तय है। लेकिन 10वीं सीट पर मुंबई कांग्रेस के प्रमुख भाई जगताप और भाजपा के प्रसाद लाड के बीच मुकाबला है।

महाराष्ट्र सदन में सदस्यों की संख्या 288 है, जो घटकर 285 पर आ गई है। हाल ही में शिवसेना के विधायक रमेश लाटके का निधन हो गया था। जबकि, राकंपा के दो विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक को बॉम्बे हाईकोर्ट ने वोट डालने की अनुमति नहीं दी। हर उम्मीदवार को कम से कम 26 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। ऐसे में निर्दलीय और छोटे दल के 29 विधायक अहम भूमिका निभाएंगे।

दोनों दलों के आंकड़े क्या कहते हैं?

106 विधायकों के साथ भाजपा 5 में से 4 सीटें जीत सकती है। हालांकि, पांचवी सीट पर पार्टी को दल बदलुओं और निर्दलियों की जरूरत होगी। इधर, 55 विधायकों के साथ शिवसेना और राकंपा के 51 विधायकों के साथ 2 सीटों पर आराम से जीत दर्ज कर सकती है।

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