पुणे: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने रविवार को पुणे में एक रैली को संबोधित किया। भाषण की शुरुआत करने से पहले उन्होंने कहा कि आज कुछ नेत्रहीन विद्यार्थी जो मुझसे मिलने आए हैं, मैं उनका स्वागत करता हूं, उन्हे मंच पर लाया जाए। हमारी सभा के लिए ऐसे हॉल छोटे हैं। एसपी कॉलेज में हम सभा करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अनुमति नहीं दी, कहा कि हम यह सब की अनुमति नहीं देते हैं। अब हम भी देखेंगे कि हमें नहीं मिला तो किसी को नहीं मिले।
बता दें कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे की रविवार को पुणे में होने वाली रैली के सिलसिले में पुलिस ने कई दिशा-निर्देश जारी किए थे। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। स्वरगेट पुलिस थाने की ओर से जारी किए गए निर्देशों के अनुसार राज ठाकरे के भाषण से किसी समुदाय का अपमान नहीं होना चाहिए और लोगों में द्वेष पैदा नहीं होना चाहिए।
पुलिस की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, ''मनसे की रैली के आयोजकों द्वारा निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।
रैली के प्रतिभागियों को ऐसा भाषण नहीं देना चाहिए जिससे किसी भी समुदाय का अपमान हो या समुदायों के बीच तनाव पैदा हो। रैली में भाग लेने वाले नागरिकों को आत्म-अनुशासन का पालन करना चाहिए। आयोजकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रैली में भाग लेने वाले लोग आक्रामक नारे नहीं लगाएं।''
उन्होंने एनसीपी नेता शरद पवार पर तंज कसते हुए कहा कि अब बारिश का मौसम है और चुनाव नहीं है तो क्यों बारिश में भाषण करूं। पिछले दिनों पुणे आने पर तबीयत खराब थी। पैर और कमर में परेशानी है, इसलिए उस समय मुंबई जाकर उपचार शुरू कर दिया। डॉक्टर से उपचार शुरू है और 1 तारीख को ऑपरेशन करना है। यह इसलिए बता रहा हूं, क्योंकि पता नहीं कल पत्रकार इसके बारे में क्या क्या कहेंगे। पत्रकार आजकल हमारे पीछे सभी जगह हैं। घर से निकलने से पहले से कैमरा हमारे पीछे लग जाता है।
उन्होंने कहा कि परसो जो मैंने अयोध्या दौरे को कुछ समय के लिए रद्द किया था, उससे कई लोग नाराज़ थे, कई बयानबाज़ी कर रहे थे। इसलिए दो दिन मैंने कुछ नहीं कहा, लोगों को जो बोलना था, वो बोलने दिया,आज मैं अपनी भूमिका महाराष्ट्र और देश को बताऊंगा। लाउडस्पीकर बंद करने के एलान के बाद मैंने पुणे में ही कहा था कि अयोध्या जाऊंगा। उसके बाद बयानबाज़ी शुरू हुई कि अयोध्या आने नहीं देंगे। मैं सब सुन रहा था और उसके बाद मुझे समझ आया कि यह सब एक ट्रेप है, एक षड्यंत्र है, जिसमें फंसना नहीं चाहिए। क्योंकि इन सभी चीजों की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई। जिन लोगों को नहीं पसंद की मैं अयोध्या जाऊं, उन्होंने बहुत कुछ किया। मैं अयोध्या जाऊंगा ही।
रामजन्म भूमि का दर्शन तो करना ही है, जिस समय यह सब मुद्दा हुआ था, आप में से कई लोगों का जन्म नहीं हुआ था, केवल दूरदर्शन चैनल था। उस समय दूरदर्शन पर न्यूज़ रीलस चलता था। मुलायम सिंह की सरकार में कारसेवकों को उस समय मारा गया था और लोगों के लाश को सरयू नदी में तैरते हुए दिखाया गया था। राम जन्मभूमि के साथ सरयू नदी पर मारे गए कारसेवकों का दर्शन मैं लेने जाऊंगा।
जो माहौल अभी बनाया जा रहा है, अगर मैं अब ज़िद्द कर जाता हूं तो आपके जैसे लाखों लोग वहां आते, और अगर कुछ होता तो हमारे लोग चुप नहीं बैठते। आप लोगों पर मामला दर्ज कर जेल में डाला जाता। मैंने यही सोचा कि आपलोगों को मैं परेशान नहीं करना चाहता। चुनाव से ठीक पहले आप सभी को जेल में डाल दिया जाता और चुनाव के समय यहां कोई नहीं होता। यह सब ट्रेप है। यह संभव नहीं कि एक सांसद उठकर मुख्यमंत्री को आह्वान दें। यह सब सोची समझी साजिश है।
महाराष्ट्र की ताकत उन्हें दिखाई देती, लेकिन आपलोगों को जेल में डाला जाता। मैं चार शब्द सुनने को तैयार हूं, लेकिन आपको जेल नहीं जाने दूंगा। इनकी नींद अचानक 14 साल बाद खुली की राज ठाकरे माफी मांगें। एक बात बता दूं, गलत उदाहरण दिया जा रहा है। मुझसे माफी मांगने की मांग की जा रही है। गुजरात के अल्पेश ठाकुर ने उत्तर प्रदेश और बिहार के 15 हज़ार लोगों को भगाया। वो लोगों को मारकर भगाया गया, वहां कौन माफी मांगेगा? इनकी नींद अचानक अभी खुल रही है?
हिंदुत्व और लाउडस्पीकर का मुद्दा हमने उठाया, इसलिए यह सब किया जा रहा है. राणा दंपती से पहले मैंने कहा कि अगर अज़ान वाले लाउडस्पीकर नहीं हटाते तो हम हनुमान चालीसा बजाएंगे. राणा दंपति मातोश्री के बाहर जाकर हनुमान चालीसा पढ़ने की बात कर रहे थे. मातोश्री क्या मस्जिद है? इसके बाद इन्हें जेल में डाला गया, बहुत बयानबाज़ी हुई, टीवी में सब दिखाया गया. इसके बाद लद्दाख में संजय और रवि राणा एक साथ खाना खाते नज़र आते हैं. क्या शिवसेना के कार्यकर्ताओं को कुछ नहीं लगता? जिसके खिलाफ आपलोग लड़ रहे थे, आपके ही नेता उनके साथ घूम रहे हैं. यह सब झूठे हैं. इनका हिंदुत्व केवल बोलने में है. इन्हें और कुछ नहीं कहना है।
उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर एक दिन का आंदोलन नहीं है। अगर इसपर लगातार नहीं कहा गया तो सब दोबारा शुरू होगा। वो केवल देख रहे हैं कि आप कब भूलते हैं और आवाज़ बढ़ाई जाती है। इसलिए इस मुद्दे को एक बार में ही खत्म कर दिया जाए। कुछ दिनों में एक पत्र दूंगा, हर घर में पहुंचाओ। इसे एक बार में खत्म करना है। केवल सड़क पर उतरकर आंदोलन नहीं होता है। अबतक हमारे पार्टी के 28000 कार्यकर्ताओं को नोटिस दिया गया। जो कानून मान रहे हैं, उन्हें नोटिस दिया जाता है, तड़ीपार किया जाता है आए जो नियम नहीं मानता, उनके साथ चर्चा की जाती है। इसपर चर्चा क्यों करना है? मराठी हिंदुओं पर मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
पुलिस संदीप देशपांडे के घर पर जाकर दिन रात उसे ढूंढती रही। लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं ने दिन रात काम किया उसके बाद ही लाउडस्पीकर बंद हुआ। हमारे वकीलों का आभार जिन्होंने हमारे कार्यकर्ताओं को बचाया। मैं आपसे यही कहूंगा कि आंदोलन करो, आपको बचाने के लिए टीम तैयार है। अगले हफ्ते ऑपरेशन के बाद कुछ समय रिकवरी होगी, उसके बाद आपके सामने एक डेढ़ महीने में आऊंगा। लेकिन आप इस आंदोलन को जारी रखेंगे, यह मेरी उम्मीद है।