मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को निर्देश दिया कि यहां के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों को जेल में बंद कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव का वीडियो लिंक के जरिए मेडिकल परीक्षण करना चाहिए। अदालत ने कहा कि जरूरत महसूस होने पर शारीरिक जांच भी की जा सकती है। अदालत राव की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले में अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।
न्यायमूर्ति एके मेनन और न्यायमूर्ति एसपी तवाडे की अवकाशकालीन पीठ राव की पत्नी हेमलता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में अनुरोध किया गया है कि उन्हें बेहतर इलाज के लिए निजी नानावती अस्पताल में भर्ती कराया जाए और उनके स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड का गठन करने के साथ उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। बता दें कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी 81 वर्षीय राव को पड़ोसी नवी मुंबई की तलोजा जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में रखा गया है। राव की ओर से पेश वकील इंदिरा जयसिंह ने दावा किया कि उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है और एक जायज आशंका है कि जेल में उनकी मृत्यु तक हो सकती है।
वकील ने कहा कि राव को भूलने की बीमारी है, वह अगस्त से जेल के अस्पताल में बिस्तर पर हैं। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अगर वरवरा राव का जेल में निधन हो जाता है तो यह हिरासत में मौत का मामला होगा। उन्होंने कहा कि वरवरा राव को जेल में रखना अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीने के अधिकार का उल्लंघन है।
याचिका के अनुसार वरवरा राव को जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद राव को कई बार शहर के सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गत 16 जुलाई को उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। उसके बाद उन्हें नानावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 30 जुलाई को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और उन्हें वापस जेल भेज दिया गया।
अदालत ने शुरू में सुझाव दिया कि नानावती अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम जेल में राव से मुलाकात करे। पीठ ने कहा कि अगर डॉक्टरों को लगता है कि वीडियो परीक्षण अपर्याप्त है तो वे अपने विवेक से शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। मामले की जांच कर रही एनआईए ने इसका विरोध किया। एजेंसी ने राव को नानावती अस्पताल में भर्ती कराने के अनुरोध का भी विरोध किया।
एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के वकील अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि कैदी अपने डॉक्टरों का चयन नहीं कर सकते और इससे गलत नजीर बनेगी। सिंह ने कहा, 'इस तरह तो कल हर कैदी कहेगा कि मुझे नानावती अस्पताल में भर्ती कराया जाए। इसके अलावा, हमें अपने सरकारी डॉक्टरों और अस्पतालों की विश्वसनीयता को कमतर नहीं आंकना चाहिए।'
हालांकि, अदालत ने कहा कि अगर वीडियो परामर्श की अनुमति दी जाती है तो कोई नुकसान नहीं होगा। पीठ ने कहा कि मुख्य चिंता आरोपी की वर्तमान चिकित्सा स्थिति का आकलन है। अदालत ने नानावती अस्पताल के डॉक्टरों को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द वीडियो आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत करें और अगर जरूरी हुआ तो 16 नवंबर तक शारीरिक जांच की रिपोर्ट पेश करें।