मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मस्लिम समुदाय को आश्वस्त किया कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन यानी एनआरसी के तहत राज्य में किसी भी डिटेंशन कैंप को बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के लागू होने के बाद मुसलमानों को इससे डरने की जरूरत नहीं है और राज्य सांप्रदायिक आधार पर किसी भी नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होने देगा। शिवसेना प्रमुख ठाकरे ने एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून पर उठ रही चिंताओं के संबंध में कहा कि राज्य में हम किसी भी डिटेंशन कैंप की इजाजत नहीं देंगे।
उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हालिया एनआरसी और नागरिकता विवाद में किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। ठाकरे ने सोमवार को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात के दौरान ये बातें कहीं। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि महाराष्ट्र में एनआरसी को लागू किया जाएगा या नहीं। शिवसेना की सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी स्पष्ट तौर पर एनआरसी का विरोध कर चुकी है।
ठाकरे एनआरसी पर बोल चुके हैं कि वह सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता कानून और एनआरसी पर कई याचिकां विचाराधीन हैं।
ठाकरे ने यहां सह्याद्री अतिथि गृह में मस्लिम समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध नहीं करने का आग्रह किया, क्योंकि सरकार ने राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों पर ध्यान दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकों को डर नहीं चाहिए कि सीएए के लागू होने के बाद उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जाएगा।
इस अवसर पर अबू आसिम आज़मी, नवाब मलिक, अमीन पटेल, रईस शेख जैसे मुस्लिम विधायकों और मौलाना सज़द नोमानी, मौलाना महमूद दरियाबी और अन्य धार्मिक विद्वान शामिल हुए।