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नागपुर: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरविंद शरद बोबडे ने शनिवार को कहा कि ऊंची कानूनी लागत न्याय पाने की राह में अहम रोड़ा है। साथ ही उन्होंने वकीलों की भारी-भरकम फीस का भी जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें भी मध्यस्थ के तौर पर अपनी भूमिका पर विचार करने की जरूरत है न केवल पैसा भुगतान के बदले दलील रखने की। उन्होंने कहा कि हमें पूर्व कानूनी मध्यस्थता की शुरुआत करने की जरूरत है। महाराष्ट्र के नागपुर के मूल निवासी सीजेआई बोबडे को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व सीजेआई आरएम लोढ़ा ने सम्मानित किया।

जस्टिस बोबडे ने 18 नवंबर को ही सीजेआई का पदभार संभाला है। उन्होंने कहा कि कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें सुधारने की जरूरत है। इनमें से एक न्याय तक पहुंच है। शपथ ग्रहण करने के बाद उनसे एक सवाल बार-बार पूछा जाता है कि वह वकीलों की फीस को लेकर क्या करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह बेबाकी से कहते हैं कि हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते हैं।

राष्ट्रपति ने हाल ही में जोधपुर में कहा था कि न्याय की लागत आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गई है। उन्होंने कहा कि जाहिर तौर, किसी को किसी के धन कमाने से शिकायत नहीं होती है लेकिन कृपया इसे समझें कि जब यह अदालतों में होता है तो यह न्याय की पहुंच में बाधा खड़ी करता है और यह गंभीर खामी है।

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