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मुंबई: नागरिकता संशोधन विधेयक पर सियासी संग्राम के बीच शिवसेना ने अपने रुख को लेकर सस्पेंस बढ़ा दिया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज कहा कि सारी चीजें साफ होने तक इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे। हालांकि पार्टी ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था। ऐसे रुख से भारी सस्पेंस पैदा हो गया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर किसी नागरिक को इस विधेयक से डर लग रहा है तो उसकी शंका को दूर किया जाना चाहिए। वे सभी हमारे नागरिक हैं और उन्हें अपने सवालों का जवाब मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई इस बिल से असहमत है तो उसे देशद्रोही कहना उनका भ्रम है। हमने राज्यसभा में पेश होने से पहले इस बिल में सुधार की मांग की है। ये एक भ्रम है कि सिर्फ भाजपा ही देश की चिंता करती है।

इससे पहले सांसद संजय राउत ने भी इसे लेकर साफ साफ कुछ नहीं कहा। इस बिल को शिवसेना राज्यसभा में समर्थन देगी या नहीं, इस सवाल के जवाब में शिवसेना सांसद संजय राउत ने सिर्फ इतना ही कहा कि पार्टी का स्टैंड बुधवार को पता लगेगा। वहीं, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बिल को समर्थन के सवाल पर कहा था, अलग अलग भूमिका होती है क्या हमारी? राष्ट्र के हित की भूमिका को लेकर शिवसेना हमेशा खड़ी रहती है, इस पर किसी का एकाधिकार नहीं है।

दूसरी तरफ नागरिकता संशोधन विधेयक पर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। असम में छात्रों का बिल के खिलाफ विरोध मंगलवार को भी जारी रहा। बता दें कि महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना ने लोकसभा में इस बिल के पक्ष में वोट दिया था। लंबी बहस के बाद लोकसभा में इसे पास कर दिया गया।

इस दौरान जेडीयू, बीजेडी, अकाली दल ने भी सरकार का साथ दिया। बुधवार को इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा जहां सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है। राज्यसभा में पास होने के बाद ही ये बिल कानून का रूप लेगा। इसके मद्देनजर तमाम दलों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है। बुधवार को ही साफ होगा कि ये बिल कानून का रूप लेगा या नहीं।

एक लाख तमिलों को नागरिकता दे केंद्र: श्रीश्री रवि शंकर

इसी बीच आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रवि शंकर ने मंगलवार को केंद्र सरकार से एक लाख से अधिक श्रीलंका के उन तमिल शरणार्थिओं को नागरिकता देने की मांग की है जो तीन दशक से अधिक समय से भारत में रह रहे हैं। गीतकार वायरामुथु ने भी इसी तरह की मांग उठाई है। एक ट्वीट में रवि शंकर ने कहा कि वह भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि 35 सालों से भारत में रह रहे तमिल श्रीलंकाइयों को नागरिकता देने पर विचार करे। वायरामुथु ने ट्वीट में कहा कि इन शरणार्थिओं को पड़ोसी देश का नागरिक नहीं समझा जाना चाहिए।

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