मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल एकमत के साथ पास हो गया है। अब रोजगार और शिक्षा में मराठा समुदाय को मिल सकेगा 16 फीसदी आरक्षण मिल सकेगा। यह बिल अब पास होने के लिए ऊपरी सदन में जाएंगे। मराठा समुदाय को आरक्षण देने से संबंधित बहुप्रतीक्षित विधेयक को महाराष्ट्र विधानसभा के पटल पर रखा गया था। मराठा आरक्षण विधेयक के साथ ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) की मराठा आरक्षण से जुड़ी अनुशंसाओं पर उठाए गए कदमों के बारे में दो पन्नों की कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) को भी पटल पर रखा गया। इस मुद्दे पर राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल की अध्यक्षता वाली राज्य मंत्रिमंडल की उप समिति की बैठक बुधवार शाम को हुई।
विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने कहा कि पिंक बॉलवर्म के कारण जिन किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा है सरकार ने उन्हें वित्तीय सहायता मुहैया नहीं करायी है। मुंडे ने कहा था, ''मैं सरकार को एक भी ऐसा किसान सामने लाने की चुनौती देता हूं जिसे नुकसान के लिए 34,500 रुपये का पूर्ण मुआवजा दिया गया हो। अगर आप ऐसा कर दें तो मैं विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं।
उन्होंने मराठा आरक्षण पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के साथ-साथ धनगर (गड़रिया) समुदाय के लिए आरक्षण पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने की मांग की।
राजस्व मंत्री और सदन के नेता चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार ने पिंक बॉलवार्म के कारण प्रभावित फसलों के मुआवजे की मांग के लिए केन्द्र के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। हालांकि, उन्होंने सदन को बताया कि अब तक कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष की मांगों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये राजस्व मंत्री ने कहा कि यह एसबीसीसी की 52 वीं रिपोर्ट है और सदन के पटल पर पूर्ववर्ती कोई रिपोर्ट नहीं रखी गई। पाटिल के बयान पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी विपक्ष के खिलाफ नारेबाजी की।