पुणे: पुणे के सेशन कोर्ट से भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के आरोप राहत नहीं मिल पाई है। सेशन कोर्ट ने शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करते हुए आरोपी वर्नन गोंजाल्विस, अरूण फरेरा और सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। उधर, बचाव पक्ष की तरफ से एक आवेदन दायर कर पुणे सेशन कोर्ट से वर्नन गुंजाल्विस, अरूण फरेरा की नजरबंदी को सात दिन के लिए बढ़ाए जाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन तीनों ही आरोपियों की नजरबंदी की अवधि आज खत्म हो रही है।
29 अगस्त को किया गया नजरबंद
पांचों कार्यकर्ता वरवरा राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा 29 अगस्त से अपने-अपने घरों में नजरबंद किया गया। पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एल्गार परिषद’ के सम्मेलन के बाद राज्य के भीमा- कोरेगांव में हिंसा की घटना के बाद दर्ज एक एफआईआर के संबंध में महाराष्ट्र पुलिस ने इन्हें 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 सितंबर को कहा था कि वह मामले पर पैनी नजर बनाए रखेगा क्योंकि सिर्फ अनुमान के आधार पर आजादी की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल एक जनवरी 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया था, जहां हिंसा होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इतिहास में जाएं तो भीमा-कोरेगांव लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी। ये लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी। इस लड़ाई में अंग्रेज़ों की तरफ से महार जाति के लोगों ने लड़ाई की थी और इन्हीं लोगों की वजह से अंग्रेज़ों की सेना ने पेशवाओं को हरा दिया था।
महार जाति के लोग इस युद्ध को अपनी जीत और स्वाभिमान के तौर पर देखते हैं और इस जीत का जश्न हर साल मनाते हैं। इस साल जनवरी में भीमा-कोरेगांव में भी लड़ाई की 200वीं सालगिरह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया। इस दिन लोग यह दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए। भीम कोरेगांव के विजय स्तंभ में शांतिप्रूवक कार्यक्रम चल रहा था। अचानक भीमा-कोरेगांव में विजय स्तंभ पर जाने वाली गाड़ियों पर किसी ने हमला बोल दिया।
इसी घटना के बाद दलित संगठनों ने 2 दिनों तक मुंबई समेत नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद, सोलापुर सहित अन्य इलाकों में बंद बुलाया जिसके दौरान फिर से तोड़-फोड़ और आगजनी हुई। इसके बाद पुणे के ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस रवीन्द्र कदम ने भीमा-कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोप में विश्राम बाग पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया।