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मुंबई: महाराष्ट्र के पुणे जिले में मराठा आरक्षण आंदोलन हिंसक हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों को आगे के हवाले कर दिया है और रास्तों पर चक्का जाम कर दिया है। हंगामा बढ़ते देख शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है। दरअसल, मराठा आरक्षण आंदोलन के तहत पुणे के नजदीक चाकण में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। इस प्रदर्शन के बाद ही चाकण में आंदोलन अचानक हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने रोड जाम कर दिए और तोड़फोड़ शूरू कर दी। पुलिस ने उपद्रवियों पर काबू पाने की पूरी कोशिश की लेकिन हालात बेकाबू होते देख उन्हें आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों को भी निशाना बनाया है। आंदोलन के बीच महाराष्ट्र कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं और विधायकों की बैठक के बाद राज्यपाल विद्यासागर राव को ज्ञापन सौंपा और कहा कि वह मराठा आरक्षण मामले में हस्तक्षेप करें। कांग्रेस ने मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण देने की मांग की।

आरक्षण की मांग को लेकर व्यक्ति ने की आत्महत्या

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर यहां 35 साल के एक व्यक्ति ने चलती ट्रेन के सामने छलांग लगाकर कथित रुप से आत्महत्या कर ली।

मुकुंदवाड़ी थाने के वरिष्ठ निरीक्षक नाथा जाधव ने बताया कि प्रमोद जयसिंह होरे ने रविवार को फेसबुक और व्हाट्सऐप पर लिखा था कि वह आरक्षण की मांग के समर्थन में अपनी जान दे देगा। उसने रविवार रात यहां मुकुंदवाड़ी क्षेत्र में चलती ट्रेन के सामने कथित रुप से छलांग लगा दी। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, जयसिंह ने फेसबुक पर लिखा था, ''आज एक मराठा छोड़कर जा रहा है.......लेकिन मराठा आरक्षण के लिए कुछ कीजिए'' महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी में जुटे जयसिंह ने एक अन्य संदेश में लिखा था, ''मराठा आरक्षण एक जान लेगा। उसके कई दोस्तों ने उससे ऐसा नहीं करने का अनुरोध किया लेकिन उसने किसी की भी नहीं सुनी।

शिवसेना ने फड़नवीस से कहा विशेष सत्र बुलाएं

महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन हिंसक देख शिवसेना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस से तुरंत विशेष सत्र बुलाने के लिए कहा है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज मुंबई में विधायकों के साथ मीटिंग भी की। ठाकरे ने कहा कि हमारी मांग है कि हमें पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना चाहिए और तुरंत विशेष सत्र बुलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण का मुद्दा विधानसभा के विशेष सत्र में उठाना चाहिए और उसके बाद इसे केंद्र सरकार के पास भेज देना चाहिए।

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