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मुंबई: महाराष्ट्र के धुले जिले में रविवार को बच्चा चोरी की अफवाह में भीड़ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। उन पाचों के पास वैध आधार कार्ड था और स्थानीय पुलिस में वे पांचों रजिस्टर्ड थे। उन्हें धुले जिले रेनपाड़ा गांव की पंजायत के एक बंद कमरे में शरण ले रखी थी। अधिकारियों ने स्थानीय टेलीविजन चैनलों पर अफवाहों के खिलाफ चेतावनी भी जारी की थी, लेकिन गुस्साई भीड़ के सामने ये बातें मायने नहीं रखा।

गुस्साई भीड़ ने ली पांच की जान

जब तक पुलिस पहुंचती, लॉक तोड़ा जा चुका था और उनमें तीन की भीड़ जान ले चुकी थी। जिस वक्त पुलिस बाकी बचे दो लोगों को बचाने का प्रयास कर रही थी, भीड़ ने उन्हें भी नहीं बख्शा। इस घटना में दो पुलिसकर्मी एसआई योगेश खटकल और एएसआई रविन्दर रणधीर भी घायल हुए और पीटने का सिलसिला तब तक जारी रहा जब तक पांचों की मौत नहीं हो गई। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, एक पुलिस वाले ने उस घटना की याद करते हुए कहा भीड़ ने उनसे कहा था- “अब वे मर चुके हैं, अब आप इसे लेकर जा सकते हो।”

भीड़ में से कुछ लोगों ने उनकी पल्स चेक को किया कि कहीं वो जिंदा तो नहीं बचे रह गये हैं। सैकड़ों लोगों को लाठी, पत्थर और रॉड से लैस इस भीड़ के सामने महज आठ पुलिस वाले सिर्फ लाठी के साथ खड़े थे।

वे 3,500 थे और हम सिर्फ आठ

पुलिस टीम में से एक ने बताया- “वे लोग करीब 3,500 की संख्या में थे जबकि हम सिर्फ आठ थे। जब हमें यह पता चला कि उनमें से दो जिंदा हैं, हमने उन लोगों से कहा कि इन्हें हॉस्पीटल लेकर जाने दो। लेकिन, वे लोग इस पर सहमत नहीं हुए और उन लोगों ने उस वक्त बॉडी दी जब उन्होंने पूरी तरह से यह सुनिश्चित कर लिया कि अब वे मर चुके हैं।”

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