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मुंबई: ‘विकास के गुजरात मॉडल’ को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने बुधवार को कहा कि अगर इसकी सफलता के बारे में उसके दावे सही हैं तो सरकार को विधानसभा चुनाव से पहले इतनी सारी घोषणाएं करने की जरुरत क्यों पड़ी।

पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में लिखा, ‘‘अगर पिछले 15 सालों में वहां विकास के काम किए गए तो प्रचार के नाटक के बिना ही चुनाव जीता जा सकता है। अगर विकास का गुजरात मॉडल सही है तो चुनावों से पहले इतनी घोषणाएं करने की जरुरत नहीं पड़ती।’’

इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले सप्ताह तीन बार गुजरात गए थे और विभिन्न परियोजनाओं के ‘भूमि पूजन’ के लिए सितंबर से लेकर अब तक पांच बार वह राज्य का दौरा कर चुके हैं।

संपादकीय में कहा गया है कि मोदी ने यह भी चेतावनी दी कि केंद्र उन लोगों को किसी भी तरह की वित्तीय सहायता मुहैया नहीं कराएगा जो विकास का विरोध करते हैं। दूसरे शब्दों में उन्होंने लोगों को भाजपा के पक्ष में वोट देने की चेतावनी दी।

प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना ने कहा कि हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदार समुदाय के प्रदर्शनों ने मोदी के समक्ष बड़ी चुनौती पेश की थी जिसके कारण वह कुछ समय तक विदेश यात्रा पर भी नहीं जा सके थे।

इसमें कहा गया है कि मोदी गुजरात में काफी समय बिता रहे हैं क्योंकि वह जानते हैं कि उनके गृह राज्य में चुनाव जीतना आसान नहीं है। पटेल कोटा कार्यकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों का जिक्र करते हुए सामना में कहा गया है कि उन्हें भाजपा की ओर से पार्टी में शामिल होने के लिए एक करोड़ रुपये की घूस की पेशकश की गई थी।

संपादकीय में लिखा है, ‘‘भाजपा की ओर से पार्टी में शामिल होने के लिए एक करोड़ रुपए की पेशकश किए जाने का दावा करने वाले नरेंद्र पाटिल (हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के कार्यकर्ता) सिर्फ एक उदाहरण नहीं हैं। वहां दिग्गज नेताओं को खरीदने की कोशिशें की जा रही हैं। इसके पीछे के लोग अगर इस तरीके से राजनीति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं तो यह देश के लिए खतरनाक है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘झूठ और कपट हमेशा काम नहीं आता। आपने चुनाव जीतने के लिए महाराष्ट्र में शिवसेना के खिलाफ धन बल का इस्तेमाल किया। लेकिन क्या गुजरात आपका (मोदी का) राज्य नहीं है? क्या आपके ‘विकास भाई’ (मोदी) ने विकास को लेकर देश के सामने ढींगें नहीं हांकी थी? फिर लोगों को खरीदने और विरोधियों को चुप कराने में पैसों का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है?’’

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