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मुंबई: महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठी और गैर-मराठी का मुद्दा उठने लगा है। यहां सांगली में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट की। इस बार भी मुद्दा नौकरी का है। खबरों के अनुसार मनसे कार्यकर्ताओं में सांगली में गैर महाराष्ट्रीयन लोगों के साथ जमकर मारपीट की है।

इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिससे पता चलता है कि किस तरह मनसे कार्यकर्ता लोगों को रोक-रोककर पीट रहे हैं। घटना के सामने आने के बाद पुलिस ने सात लोगों को हिरासत में लिया है। घटना मंगलवार शाम की है।

खबरों के अनुसार मंगलवार को एमएनएस के कार्यकर्ता हाथ में लाठी लेकर सड़कों पर उतरे और सामने जो भी उत्तर भारतीय दिखा उसकी बेरहमी से पिटाई करने लगे। यहां तक कि लोगों की डंडे और लात-घूसों से पिटाई की गई।

दरअसल राज ठाकरे की पार्टी ने सांगली में 'लाठी चलाओ भैय्या हटाओ' नाम से पर-प्रांतीय हटाओ मुहिम शुरू की है। मनसे का आरोप है कि सांगली स्थित एमआईडीसी में पर-प्रांतीयों को नौकरी दी जा रही है। यहां 80 फीसदी नौकरी सिर्फ और सिर्फ मराठी लोगों को दी जाए।

एक अधिकारी ने बताया कि कथित तौर पर महाराष्ट्र नवनिमार्ण सेना ( मनसे ) से जुड़े कार्यकतार्ओं के एक समूह ने उत्तर के राज्यों से आने वाले कामगारों पर तब हमला किया जब वह कुपवाड़ औद्योगिक इलाके में एक फैक्टरी में काम करके लौट रहे थे। औद्योगिक क्षेत्र में कई ढलाईखाने, चक्कियां, फैक्टरियां और तेल उत्पादन इकाईयां हैं।

इंस्पेक्टर एएम कदम ने बताया कि पीडि़तों में से एक ने एमआईडीसी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी जिसके आधार पर पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है। कदम ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

आपको बता दें कि फरवरी 2008 में राज ठाकरे ने कथित उत्तर भारतीयों के खिलाफ एक आंदोलन का नेतृत्व किया। 2009 में एग्जाम देने मुंबई आए हिंदी भाषी उम्मीदवारों की पिटाई कर मनसे सुर्खियों में आई थी।

ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने हाल ही में गुजराती भाषियों के खिलाफ भी आंदोलन छेड़ा था। इसके तहत मनसे कार्यकर्ताओं ने दादर और माहिम इलाके में कई दुकानों के गुजराती भाषा में लगे बोर्ड जबरदस्ती हटा दिए। पुलिस ने बोर्ड हटाने वाले मनसे के सात कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया।

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