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पुणे: मराठी साहित्य सम्मेलन से उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सम्मेलन के अध्यक्ष श्रीपाल सबनिस की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में टिप्पणी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को सम्मेलन के न्योते पर सवालिया निशान को लेकर राज्य के साहित्यिक एवं राजनीतिक हलकों में गहमागहमी जारी है। सबनिस ने पिछले महीने मोदी के पाकिस्तान के अनिर्धारित दौरे की कथित तौर पर आलोचना की थी। भाजपा ने उनकी आलोचना की और पुणे के पास पिम्परी में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित कर रही है। पिम्परी में लेखकों के प्रतिष्ठित 89वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का आयोजन 16 जनवरी को किया जाएगा। सनातन संस्था के कार्यकर्ता संजीव पुणालेकर ने ट्विटर पर लिखा था कि सबनिस को ‘सुबह की सैर शुरू कर देनी चाहिए।’

उनका साफ संकेत नरेन्द्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे जैसे तर्कवादियों की तरफ था, जिन्हें सुबह की सैर के दौरान अलग अलग घटनाओं में मौत के घाट उतार दिया। सबनिस संजीव की टिप्पणी के विरोध में सोमवार सुबह अपने समर्थकों के साथ सैर पर निकले और सबने संजीव की ‘धमकी’ की निंदा की। सम्मेलन के अध्यक्ष ने कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे और वह मौत की किसी भी धमकी से नहीं डरते। उन्होंने कहा कि वह अपना कोई बयान वापस नहीं लेंगे और उन्होंने फडणवीस से सम्मेलन में शामिल होने का अनुरोध किया जो मराठी भाषा को समर्पित एक पारंपरिक कार्यक्रम है। वहीं संजीव ने मौत की धमकी देने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘मैं खुद सुबह की सैर करता हूं जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।’’ इसी बीच भाजपा प्रवक्ता माधव भंडारी ने संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री को कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है लेकिन जरूरी नहीं है कि वह इसमें हिस्सा ले हीं। सबनिस ने अपनी विवादित टिप्पणी में कहा था कि मोदी लाहौर हवाई अड्डे पर किसी गोली या बम विस्फोट का शिकार हो सकते थे और ऐसा होने पर कवि मंगेश पदगांवकर (जिनका हाल में निधन हुआ) की जगह उनके लिए एक शोक सभा का आयोजन किया जाता।

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