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जयपुर: राजधानी की एक विशेष अदालत ने बुधवार को अजमेर बम ब्लास्ट मामले में दो दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में जयपुर की विशेष अदालत ने अजमेर स्थित सूफी ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती दरगाह परिसर में करीब 9 साल पहले हुए धमाके में दोषी पाये गये भावेश पटेल और देवेन्द्र गुप्ता को सजा सुनाई। विशेष न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने आज यह फैसला सुनाते हुये मुख्य आरोपी भावेश और देवेन्द्र को आजीवन कारावास की सजा दी है। वहीं भावेश पर 10 हज़ार एवं देवेन्द्र पर पांच हज़ार रुपए का आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। गौरतलब है कि इस मामले में कुल 14 आरोपियों में से तीन को दोषी पाया गया था जिसमें सुनील जोशी की पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी है। अदालत ने इस मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक इन्द्रेश कुमार, स्वामी असीमानंद तथा साध्वी प्रज्ञा सहित सात आरोपियों को पहले ही दोषमुक्त करार कर दिया था। जबकि चार आरोपी अभी तक फरार है। इन फरार आरोपियों पर दस-दस लाख रूपये का इनाम घोषित किया हुआ है। इससे पहले 18 मार्च को फैसला सुनाया जाना था लेकिन कोर्ट ने सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दिया था।

राष्ट्रीय जांच एजेन्सी के मामलों की विशेष अदालत के जज दिनेश गुप्ता ने 8 मार्च को सुनाए अपने फैसले में अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में 11 अक्टूबर 2007 को आहता ए नूर पेड़ के पास हुए बम विस्फोट मामले में देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को दोषी करार दिया था। इस बम विस्फोट में तीन लोगों की मृत्यु हो गई थी, जबकि करीब 15 लोग घायल हुए थे। दोषी पाये गये आरोपियों में से सुनील जोशी की मौत हो चुकी है। जबकि कोर्ट ने असीमानंद समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया था। कोर्ट ने देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को आईपीसी की धारा 120 बी, 195 और धारा 295 के अलावा विस्फोटक सामग्री कानून की धारा 34 और गैर कानूनी गतिविधियों का दोषी पाया है। अजमेर दरगाह में 11 अक्टूबर 2007 को हुए धमाके में तीन लोगों की मौत हुई थी और 15 लोग घायल हुए थे।

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